नई दिल्लीः Air Pollution in India: भारत के वायु प्रदूषण के स्तर में समय के साथ भौगोलिक रूप से विस्तार हुआ है और महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश में यह स्तर इतना बढ़ गया है कि औसतन एक व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा में 2.5 से 2.9 वर्ष तक की अतिरिक्त गिरावट आ रही है. एक नयी रिपोर्ट में प्रदूषण के परिणाम को लेकर आगाह किया गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है, जहां 48 करोड़ से अधिक लोग या देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी उत्तर में गंगा के मैदानी क्षेत्रों में रहती है, जहां प्रदूषण का स्तर नियमित रूप से दुनिया में कहीं और पाए जाने वाले स्तर से अधिक है.


क्या कहती है रिपोर्ट
विश्वविद्यालय के ‘एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ के अध्ययन से पता चलता है कि अगर कोई व्यक्ति स्वच्छ हवा में सांस लेता है तो वह कितने समय तक जीवित रह सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि 2019 का प्रदूषण स्तर बना रहता है तो उत्तर भारत के निवासी जीवन प्रत्याशा के नौ साल से अधिक खोने की राह पर हैं क्योंकि यह क्षेत्र दुनिया में वायु प्रदूषण के सबसे चरम स्तर का सामना करता है.


खतरनाक तौर पर बढ़ा वायु प्रदूषण
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में भारत का औसत ‘पार्टिकुलेट मैटर कंसंट्रेशन’ (हवा में प्रदूषणकारी सूक्ष्म कण की मौजूदगी) 70.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो दुनिया में सबसे अधिक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के दिशानिर्देश से सात गुना ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का समय के साथ खतरनाक रूप से भौगोलिक तौर पर विस्तार हुआ है.


जीवन के लिए प्रदूषण का कम होना जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कुछ दशक पहले की तुलना में, सूक्ष्म कणों का प्रदूषण अब केवल भारत के गंगा के मैदानी क्षेत्रों की विशेषता नहीं है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों में प्रदूषण काफी बढ़ गया है. उदाहरण के लिए उन राज्यों में औसत व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा में अब 2000 की शुरुआत के सापेक्ष अतिरिक्त 2.5 से 2.9 वर्ष की गिरावट आई है.’’
बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के लिए, AQLI के आंकड़ों से पता चलता है कि अगर WHO के दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रदूषण कम किया जाता है तो औसतन व्यक्ति 5.6 साल अधिक जीवित रहेगा. 


सूक्ष्म कण मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा
बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान की जनसंख्या वैश्विक आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा है और यह लगातार दुनिया के शीर्ष पांच सबसे प्रदूषित देशों में शुमार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल अवशेष जलाने, ईंट भट्ठों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों ने भी इस क्षेत्र में प्रदूषणकारी सूक्ष्म कणों को बढ़ाने में योगदान दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है ऐसे सूक्ष्म कण से होने वाला प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा है.


यह भी पढ़िएः 7th pay commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी HRA और CEA पर हुआ बड़ा फैसला!


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.