प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में मुकदमों को लेकर बहस हिंदी में की गई और निर्णय भी हिंदी में सुनाए गए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) आशीष कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, हिंदी दिवस पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश की अदालत और अन्य अदालतों ने हिंदी में मुकदमों की सुनवाई की। इस दौरान दलीलें हिंदी में दी गईं और निर्णय भी हिंदी में पारित हुए।
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को कहा
उल्लेखनीय है कि इससे पहले एक सितंबर को न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने गोहत्या के एक मामले में आरोपित व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने का सुझाव दिया था। न्यायमूर्ति शेखर यादव ने यह निर्णय हिंदी में ही दिया था।
साल 1953 से हुई हिंदी दिवस की शुरुआत
जब हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया, तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी के प्रति गांधी जी के प्रयासों को याद किया. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने को कहा था और फिर साल 1953 से हिंदी दिवस की शुरुआत हो गई.
हिंदी दिवस नाम का दिन निश्चित किया जाना ही हिंदी के लिए अभिशाप जैसा बन गया. क्योंकि आज हिंदी साल में सिर्फ एक ही दिन याद आती है. कई दफ्तरों और स्कूलों में इस दिन विशेष के लिए हिंदी में ही कार्य किए जाने की ऐसी प्रतियोगिता या अनिवार्यता रखी जाती है, जैसे कि यह भाषा के गौरव का दिन नहीं बल्कि उसकी याद में मनाया जाने वाला श्रद्धांजलि दिवस हो गया हो.
ऐसे सार्थक होगा हिंदी दिवस
हिंदी खुद में समृद्ध है, इसलिए इसको समृद्ध बनाने के लिए 14 सितंबर के आयोजन की आड़ लेने की बजाय इस दिन को इसके साहित्यिक महत्व, इस भाषा में हुए शोध और इसे समृद्ध बनाने वाले लेखकों-कवियों की यादगार के तौर पर मनाया जाए तो अधिक सार्थक होगा.
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