नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली को जलाने और दहलाने की साजिश रची जा रही है. दंगाई ब्रिगेड ने दंगा फैलाने के लिए पुलिस, पत्रकार और लोगों को शिकार बना रहे हैं. कांग्रेस पार्टी की एक और नीच पॉलिटिक्स सामने आई है. घिनौनी राजनीति करते हुए एक बार फिर उसने भगवा आतंकवाद को हवा देने की कोशिश की है.


शाहरुख को भगवा आतंकी बनाने की साजिश बेनकाब


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ज़ी मीडिया ने राष्ट्रहित की पत्रकारिता से जुड़ी एक-एक सच्चाई आपके सामने पेश करने के लिए विशेष पड़ताल की. इसमें जो जानकारी सामने आई वो वाकई दिल दहला देने वाला पहलू है. जैसे ही सोमवार को एक दिल्ली पुलिस के जवान रतनलाल की मौत हुई, उसके कुछ ही देर पहले ज़ी मीडिया के पत्रकार जितेंद्र शर्मा ने एक वीडियो के जरिए शाहरुख को बेनकाब किया था. लेकिन शाहरुख का वीडियो सामने आने के ठीक बाद मजहबी कट्टरपंथियों समेत कांग्रेस पार्टी भी गोली चलाने वाले शख्स को भगवा आतंकी साबित करने में जुट गई.


सोशल मीडिया पर चलाया गया कैंपेन, सच आया सामने


सोशल मीडिया पर एक के बाद एक वीडियो और पोस्ट किए जाने लगे. शाहरुख जो पुलिसवाले पर बंदूक ताने खुलेआम गोली चलाकर अपनी हेकड़ी दिखा रहा था और धौंस जमा रहा था. उसे भगवा आतंकी साबित करने का खेल शुरू हो गया. इसके लिए सबसे बड़े साजिशकर्ता के तौर पर कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा समूह सामने आ गया.


आदत से मजबूर है कांग्रेस, दिल्ली को जलाने का षड्यंत्र


कांग्रेस पार्टी अपनी आदत से मजबूर है, तभी तो गद्दारों के सरगना और दंगाईयों के सरदार मो. शाहरुख को भगवा आतंकी कहकर काग्रेस के जमीनी संगठन ने 'सेवादल ओडिशा' ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने इस दंगाई शाहरुख को सीधे तौर पर भगवा आतंकी घोषित कर दिया. 



हालांकि जब इस शख्स का नाम सामने आया तो ओडिशा सेवादल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. उन्होंने एक और नई पोस्ट तस्वीर के साथ डाली. इसमें उन्होंने लिखा कि "पूरा देश गोधरा बनाने की शुरुआत हो चुकी है."



कांग्रेस की तो आदत है, सच तो ये भी है कि भगवा आतंकवाद को जन्म ही कांग्रेस पार्टी ने दिया था. आपको कांग्रेस के इस चेहरे से भी रूबरू करवाएंगे लेकिन पहले आपको इस प्लानिंग का एक-एक पहलू समझाते हैं.


प्लानिंग के तहत चलाई गोली, भगवा को बदनाम करने का मकसद


जैसे ही ये वीडियो सामने आया, सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर और अलग-अलग अकाउंट से पोस्ट करके शाहरुख को भगवा आतंकी घोषित करने की प्लानिंग की गई ये बिल्कुल वैसा ही था जैसे कसाब को भगवा आतंकी बनाने की साजिश रची गई थी. प्लानिंग यूं हुई कि गोली चलाने वाले शाहरुख के पीछे बिल्कुल वैसे ही भगवा झंडा लेकर पुलिस पर पत्थरबाजी की जा रही थी कि हर कोई ये मानने को तैयार हो जाए कि ये शाहरुख भगवा आतंकी है.



ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है, जब भगवा दिखाकर मजहबी दंगाइयों ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की हो. ये खेल कांग्रेस का शुरू किया हुआ है. 



कसाब 'ज़िंदा' ना होता तो 'हिंदू आतंकी' होता?


अब समझ आया कांग्रेस ने हिंदुओं को आतंकी क्यों बनाया, क्यों राहुल गांधी ने लश्कर से ज्यादा खतरा हिंदू आतंकवाद को बताया, क्यों दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद की साजिश बताया, क्यों सुशील कुमार शिंदे, शशि थरूर औऱ चिदंबरम से तक सबने देश की बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं की ब्रैंडिंग आतंकी की कर दी. क्योंकि स्क्रिप्ट कहीं और से लिखी गई थी, जिसपर यहां भारत में काम हो रहा था. स्क्रिप्ट लिखी थी आईएसआई लश्कर ने हिंदू आतंकवाद की और उसी पटकथा को आगे बढ़ाने का काम लगभग पूरी कांग्रेस ने किया.


हाल ही में राकेश मारिया ने किया था बड़ा खुलासा


एक के बाद एक कांग्रेस पार्टी की असलियल सामने आ रही है. कांग्रेस पार्टी के संगठन ने अपना दोहरा चरित्र पेश कर दिया. लेकिन हाल ही में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में ये चौकांने वाला खुलासा किया था. खुलासा ये कि कसाब के हाथ में कलावा और समीर चौधरी नाम के आईडी कार्ड हिंदुओ को आतंकी साबित करने की साजिश थी. और अगर कसाब मार दिया जाता या जिंदा हाथ ना आता तो कुछ कथिक सेक्युलर डिजाइनर पत्रकार स्टूडियोज में उछल उछल कर हिंदुओं को आतंकी बता रहे होते. 


'हिंदू आतंकवाद' कांग्रेस, लश्कर और ISI का 'ज्वाइंट प्रोजेक्ट'?


आखिर कांग्रेस पार्टी ऐसी गंदी राजनीति करके क्या साबित करना चाहती है. सवाल ये क्या हिंदू आतंकवाद कांग्रेस लश्कर और आईएसआई का ज्वॉयंट ऑपरेशन था? सवाल ये भी देश में आईएसआई के कितने हैंडलर हैं? इसके साथ ही सवाल ये भी 'हिंदू आतंकवाद' का कांग्रेस कनेक्शन 'संयोग या प्रयोग'?


कहां से आया 'भगवा आतंकवाद'?


हम अगर कांग्रेस पार्टी के इस प्लान को बेनकाब कर रहे हैं तो हमारे पास बाकायदा सबूत मौजूद हैं. 17 दिसंबर 2010 विकिलीक्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश को सबसे ज्यादा खतरा भगवा आतंकवाद से है, राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत से बातचीत में उन्होंने साल 2009 में कहा था कि "लश्कर जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों को कुछ मुसलमानों का समर्थन मिला हुआ है, लेकिन देश को उससे बड़ा ख़तरा तेजी से पांव पसार रहे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों से है, ये संगठन धार्मिक तनाव और राजनीतिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं."


राहुल गांधी की 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी


राहुल गांधी ने 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी लिखी तो कांग्रेस पार्टी के सारे नेताओं ने राहुल गांधी के उस बयान को अपना पदचिन्ह बना लिया. देखते ही देखते कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने राहुल को अपना गुरू मानकर उनके दिखाए राह पर निकल पड़े. राहुल गांधी को अपना आदर्श मानते हुए सबसे पहले पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 25 अगस्त 2010 को ये बयान दिया कि 'मालेगांव ब्लास्ट में भगवा आतंकवाद का हाथ है.' यानी भगवा आतंकवाद को भुनाकर कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार चलाना चाहती थी. ये सिलसिला साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ठीक पहले बढ़ता चला गया.


20 जनवरी 2013 को कांग्रेस नेता सुशील शिंदे ने ये बयान दिया कि 'BJP और RSS प्रशिक्षण शिविरों में हिन्दू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.' इसके बाद दिग्विजय सिंह ने 25 जुलाई 2013 को ही एक तड़कता-भड़कता बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बम बनाने का प्रशिक्षण देता है.' इसके बाद दिग्गी ने एक बार फिर 21 जून 2017 को ये कहा कि 'संघी आतंकवाद होता है, हिन्दू आतंकवाद कभी नहीं होता.' 11 जुलाई 2018 को तो शशि थरूर ने भी ये बोल दिया कि '2019 में बीजेपी जीती तो देश हिन्दू पाकिस्तान बन जाएगा.' और फिर साल 2019 में हुआ लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस पार्टी के दिग्विजय सिंह ने एक बाद फिर ये बोल दिया कि 'ISI के लिए जासूसी ग़ैर मुस्लिम ज़्यादा करते हैं.'


'हिंदू आतंकवाद' की थ्योरी पर हथौड़ा?


कांग्रेस पार्टी बार-बार हिंदू आतंकवाद के लिए साध्वी प्रज्ञा का हवाला देती है. लेकिन प्रज्ञा ठाकुर पर दर्ज किये गए सारे केस कांग्रेस पार्टी की सरकार में दर्ज किए गए. उसी के नाम पर कांग्रेस पार्टी ने "हिंदू और भगवा आतंकवाद" के नाम पर अपनी दुकान सजानी चाही. लेकिन आपको हम उन तीन केस के बारे में जानकारी देते हैं. जिसकी बदौलत कांग्रेस पार्टी साध्वी प्रज्ञा का हवाला देकर भगवा आतंकवाद का नाम भुना रही थी.


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साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा पर आरोप लगा लेकिन साल 2017 में उन्हें ज़मानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ गई. इसके अलावा 2007 अजमेर दरगाह ब्लास्ट साध्वी प्रज्ञा पर आरोप लगा और इस केस में NIA ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. साथ ही साल 2006 में हुए सुनील जोशी हत्याकांड केस में देवास कोर्ट से प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी हो गए हैं.


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कांग्रेस पार्टी की ये नीयत बन चुकी है कि कोई भी मुद्दा हो उसके बलबूते गंदी राजनीति कर अपनी दुकान चमकाई जाए. वो हर कोशिश भी करती है. हर बार भगवा आतंकी के मुद्दे को भुनाने वाली राजनीति करती है. लेकिन वो हर बार ये भूल जाती है कि सच सामने आ ही जाता है और ऐसी गंदी राजनीति को ये देश कभी स्वीकार नहीं करता.


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