नई दिल्ली.  भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने किया है यह अहम खुलासा. मालवीय ने बताया कि चीनी खुफिया संस्था CAIFC के साथ राजीव गांधी फाउंडेशन का  गठजोड़ रहा है.


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ट्वीट के माध्यम से दी जानकारी 


अमित मालवीय ने शुक्रवार 26 जून को ट्वीट करके देश के सामने इस बात का खुलासा किया. ट्वीट से मिली जानकारी बताती है कि साल 2004-05 में राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पोरेरी स्टडीज ने अपनी गतिविधियों के दौरान चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) के साथ  अपनेआपको सूचीबद्ध किया है.  CAIFC चीन का शासन चला रही कम्युनिस्ट पार्टी की छवि के निर्माण में, गुप्त जानकारियां एकत्रित करने और प्रोपेगेंडा चलाने के लिए जानी जाती है.


 



 


फाउंडेशन की वेबसाइट का किया उल्लेख 


भाजपा आईटीसेल के मुखिया ने राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट का उल्लेख करते हुए ये खुलासा किया है. अपनी ट्वीट के माध्यम से अमित मालवीय ने बताया कि  राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पोरेरी स्टडीज  की वर्ष 2004-05 की गतिविधियों में से गतिविधि उसका चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) के रूप में सूचीबद्ध होना भी है. उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट में 'हमारी कहानी' सेक्शन में प्रस्तुत गतिविधियों के साथ ही CAIFC के काम की जानकारी के स्क्रीनशॉट भी ट्वीट किये हैं. 



 


इसके पहले क़ानून मंत्री ने किया था खुलासा 


अमित मालवीय के पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस खुलासे के पूर्वार्ध का खुलासा किया था जिसके बाद पूरे देश से कांग्रेस के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं. रविशंकर प्रसाद ने देश को बताया था कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए 90 लाख रुपयों का चंदा दिया है. उन्होंने कांग्रेस से प्रश्न किया है कि कांग्रेस पार्टी बताए कि आखिर चीन से उनको प्रेम अचानक इतना कैसे बढ़ गया है? कानूनमंत्री ने ये भी देश को ये भी बताया कि कांग्रेस के कार्यकाल में ही चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया. 


भ्रष्टाचार का एक और खुलासा 


भाजपा ने कांग्रेस पर एक और भ्रष्टाचार के खुलासे वाला सवाल पूछा है. ये आरोप क़ानून मंत्री ने कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी पर चस्पा किया है और पूछा है कि भारतीय कानून के अंतर्गत किसी भी पार्टी को सरकार से पूछे बिना विदेश से पैसा लेने की अनुमति नहीं है. ऐसे में कांग्रेस बताये कि इस चंदे के लिए क्या सरकार से उन्होंने अनुमति ली थी?


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