ये है गांधी परिवार का 'फाउंडेशन' जिसे मिला है चीन से 'चंदा'

ये है गांधी परिवार का 'फाउंडेशन' जिसे मिला है चीन से 'चंदा'क्यों की थी चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन को नब्बे लाख रुपये की फंडिंग- ये बात तो बिना कहे समझी जा सकती है, तदापि  कहना हमारा कर्तव्य है. चीन ने फंडिंग इसलिए की थी ताकि भारत सरकार चीन के रास्ते में बिछे कांटे हटा दे और चीन के लिए भारत में अपना धंधा चमकाना आसान हो जाए और इस धंधे की आड़ में चीन ने अपने कौन से जहरीले इरादे कामयाब किये और उसके लिए उसने कब कितनी रिश्वत किसको खिलाई, ये सब बातें बाद की हैं. फिलहाल देश की जनता ये सवाल  कर रही है कि देश को इतने सस्ते में क्यों बेचा जा रहा था? जानिये यहां - क्या है ये राजीव गांधी फाउंडेशन..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jun 27, 2020, 09:14 AM IST
    • राजीव गांधी की मृत्यु पर उपजी जन-सहानुभूति को एनकैश कराने के लिये हुई स्थापना
    • साल 1991 में बना फाउन्डेशन
    • सोनिया गांधी को बनाया गया अध्यक्ष
    • राहुल, प्रियंका, मनमोहन, चिदंबरम बने न्यासी
    • कांग्रेस ने तोड़ा है कानून?
ये है गांधी परिवार का 'फाउंडेशन' जिसे मिला है चीन से 'चंदा'

नई दिल्ली. अभी न जाने ऐसे कितने और गड़े मुर्दे उखड़ने बाकी हैं जो ये बताएंगे कि भारत में जयचंद पहले भी थे और आज भी हैं. इन जयचंदों को ऊपर वाले की अदालत में सज़ा तो मिलनी ही है, किन्तु देश का न्याय विधान इन्हें क्या दंड देने वाला है, ये देखने वाली बात होगी. फिलहाल हम देश के साथ गद्दारी के विवरणों पर नहीं जाएंगे क्योंकि अभी बात चल रही है इस बात की कि राजीव गांधी फाउंडेशन दरअसल है क्या. 

 

राजीव गांधी के नाम पर बना था ये फाउंडेशन 

वर्ष 1991 के मई माह में राजीव गांधी की मृत्यु पर उपजी देश की सहानुभूति को एनकैश कराने और उसे जीवित रखने के मकसद से त्वरित गति से की गई थी इस फाउंडेशन की स्थापना. औपचारिकता की पूर्ति के लिए कहा ये गया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को राजीव गांधी के विज़न को पूरा करने के लिए बनाया गया है. 

क्या किया इस फाउंडेशन ने?

इस  फाउंडेशन की ऑफिश‍ियल वेबसाइट rgfindia.org पर दी गई जानकारी बताती है कि वर्ष 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने साक्षरता, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों समेत बहुत से बड़े क्षेत्रों में कामों को अंजाम दिया है. 

 

कौन कौन हैं इस फाउंडेशन में 

ज़ाहिर है राजीव गांधी के नाम पर बना है फॉउण्डेशन तो उनकी विधवा पत्नी के हाथों में ही इसकी बागडोर दी जायेगी. फिर वस्तुस्थिति ये भी है कि त्वदीयमस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पय -अर्थात आपकी ही चीज़ है आपको ही समर्पित है. इस तरह कांग्रेस की अध्यक्षा  सोनिया गांधी  के हाथ में ही दे गई इस इस फाउंडेशन की अध्यक्षता. सोनिया गांधी तो हो गईं अध्यक्ष इस फाउंडेशन की, अब फाउंडेशन के न्यासियों की भूमिका में भी कुछ लोगों के नाम देने आवश्यक थे. अतएव यहां भी गांधी परिवार की वरिष्ठता और वरीयता के क्रम में नाम दे दिए गए जैसे कि - राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, प्रो एम. एस. स्वामीनाथन, डॉ. अशोक गांगुली, संजीव गोयनका आदि. 

कानून मंत्री ने किया खुलासा 

ये खुलासा है, कोई दावा या कोई आरोप नहीं क्योंकि क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाकायदा कागज़ात पढ़ कर बताया कि ये चंदा चीन ने दिया था. उन्होंने इस फंडिंग और फॉउंडेशन के कागज़ात को आधार बना कर देश के सामने इस बात का खुलासा किया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन के द्वारा चंदे के नाम पर नब्बे लाख रुपये दिये गये. कानून मन्त्री ने कांग्रेस से प्रश्न किया है कि वह कारण बताए कि कैसे चीन से गांधी परिवार का और चीन का गांधी परिवार की पार्टी से ये प्रेम बढ़ गया कि इनके कार्यकाल में ही चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया.

कांग्रेस ने तोड़ा है क़ानून

क़ानून मंत्री ने जो अहम बात सामने रखी उससे पता चलता है कि कांग्रेस ने क़ानून तोड़ा है क्योंकि देश के एक कानून के अंतर्गत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती. ऐसे में रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर इस क़ानून को तोड़ने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि कांग्रेस स्पष्टीकरण दे कि इस चीनी चंदे के लिए क्या उसने सरकार से अनुमति ली थी? 

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