नई दिल्ली: शराब की दुकान खोलने की सरकार ने जैसे ही मंजूरी दी जनसैलाब उमड़ पड़ा. जिस लॉकडाउन के जरिए कोरोना रफ्तार को धीमी करने की कोशिश की गई थी उसकी कुछ घटों में धज्जियां उड़ा दी गई. सोमवार को घर से हर रास्ता, हर सड़क हर हर गली बस एक ही दिशा में जा रही थी. मधुशाला के दुकान की ओर, यही हिंदुस्तान का शराब चरित्र है. 40 दिन मतलब इंतजार की इंतहा हो चुकी थी.


पीने वालों के सब्र का सैलाब टूटा


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पीने वाले के सब्र का सैलाब तो टूटना ही था. सारे शराबी एक साथ ऐसे घरों से निकल कर लाइन में लग गए मानो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का ठेका इनके ही नाम उठा है. 


शराब के ठेके खुलने का इंतजार ऐसे हो रहा था मानो ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन आज ही हो. दुकानें खुलने से पहले लंबी लंबी कतारें लग चुकी थीं. कहीं तो ऐसी अफरातफरी मची की पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं. लेकिन रणबांकुरे भी तय तरके आए थे. लक्ष्य से भटकेंगे नहीं, उद्देश्य से डगमगाएंगे नहीं.


दिल्ली में 70% महंगी कर दी गई शराब


राजधानी में शराबियों की करतूत का नतीजा ये हुआ कि दिल्ली सरकार ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर नियम नहीं माने गए तो इलाकों में दी गई छूट खत्म की जा सकती है.


लॉकडाउन में हल्की छूट के बाद लोगों के हुजूम ने सरकार को भी डरा दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होगा तो छूट वापस ली जाएगी. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार ने कोरोना स्पेशल टैक्स लगाकर शराब 70% महंगी कर दी है. बढ़े हुए दाम आज से ही लागू हो जाएंगे.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों पर कहा है कि दिल्ली में सख्ती की जरूरत है. शराब के लिए सड़कों के हालात को देखकर सवाल ये उठता है कि शराब से कमाई जरूरी है या कोरोना से लड़ाई. अगर शराब की दुकानों के बाहर ऐसी ही भीड़ रही और समाजाकि दूरी का पालन नहीं किया गया तो लॉकडाउन का मतलब ही बदल जाएगा.


कितनी शराब पीता है हिंदुस्तान? पढ़ें आंकड़े


और अब आपको बताते हैं की कितनी शराब पीता है हिंदुस्तान? कितनी खपत होती है, ये आंकड़े देखिए और समझिए


2010 से 2017 के बीच भारत में शराब की खपत 38% बढ़ी. भारत में एक व्यक्ति एक साल में 5.9 लीटर शराब पीता है, ये वर्ष 2017 के आंकड़े हैं. 2019 में शराब से केंद्र सरकार की सालाना कमाई- 2.48 लाख करोड़ रुपये हुई. जबकि लॉकडाउन में शराबबंदी से केन्द्र सरकार को 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.


लेकिन सबसे डरावनी बात तो ये है कि हिन्दुस्तान में शराब से होने वाली मौत का आंकड़ा हर किसी को सहमा सकता है. जानकारी के मुताबिक दो साल पहले हुए सर्वे में ये आंकड़ा सामने आया था कि भारत में हर डेढ़ से दो घंटे में एक शख्स की शराब पीने से मौत होती है.


कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग से मजाक क्यों?


जाहिर है शराब से सरकारों को बड़ा रेवेन्यू हासिल होता है. इसलिए दुकानें खोलने का फैसला किया भी गया है. लेकिन कोरोना काल में सभी को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ जीने की आदत डालनी होगी.


सवाल ये है कि देश को क्या चाहिए, लॉकडाउन का ताला या मधुशाला.. सोमवार को जब लॉककडाउन 3.0 की शुरुआत कुछ रियायतों के साथ शुरू हुआ तो शराब की दुकानें भी खुलीं और वही हुआ जिसका अंदेशा था. हर तरफ लंबी-लंबी लाइनें लग गईं. कुछ जगहों पर तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ लेकिन बाकी जगह सामाजिक दूरी के नियम की धज्जिंया उड़ा दी गईं.


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देश अभी कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीता नहीं है. शराब के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दी गईं. यकीन मानिए कोई वाइन कप होता तो चैंपियन अपना देश ही होता, बार बार चैंपियन होता, हर बार चैंपियन होता.


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