नई दिल्ली: डायनासोर्स की दुनिया हमेशा से रहस्यमयी रही है. रहस्यों से भरी इस दुनिया में करोड़ों सालों पहले ऐसे ऐसे जीव थे जिनकी कल्पना भी नहीं की गई थी. पृथ्वी पर रहनेवाले ये अब तक के सबसे विशालकाय, सबसे शक्तिशाली और सबसे ख़तरनाक जीव थे, जिनका रूप कभी भी देख लो तो रूह कांप जाती है. और जब आपको पता चले कि इसी ज़ालिम कुनबे का एक दैत्य ऐसा था जो पानी में रहता था और जो इतना बड़ा था कि टी-रेक्स भी उसके सामने बौना था.
8 करोड़ 20 लाख साल पहले धरती पर था सबसे शक्तिशाली जीव
वो डायनासोर जिसके पास ऐसी काबिलियत थी, जो उस वक़्त किसी और डायना सोर के पास नहीं थी. ज़मीन पर लड़ सकने वाले इस डायनासोर की खासियत ये थी कि ये अकेला ऐसा डायनासोर था जो पानी में भी रह सकता था और पानी में भी शिकार करने की क्षमता रखता था.
सभी डायनासोर्स का डॉन जिसके जैसा कोई नहीं था
करोड़ों साल पहले जब डायनासोर्स ज़मीन से लेकर हवा तक में पाए जाते थे और जिनका धरती पर राज चलता था, उस वक़्त ये इकलौता ऐसा शैतान था जिसकी हुकूमत ज़मीन के साथ साथ पानी में भी चलती थी और ये इतना शक्तिशाली था कि इससे पंगा लेने की कोई सोचता भी नहीं था.
समंदर से निकला डेंजरस डायनासोर!
वैज्ञानिक और खोजकर्ताओं में बहस चलती आ रही थी कि डायनासोर्स पानी में भी रहते हैं या नहीं. लेकिन हाल ही में एक अध्ययन में पक्के सबूत मिले हैं कि डायनासोर्स की ये प्रजाति जिसे स्पाइनोसोरस कहते हैं, वो पानी में तैर सकता है, पानी में शिकार कर सकता है और पानी में रह सकता है. इस खोज की शुरुआत साल 2014 में मोरक्को में हुई थी.
डेट्रॉइट यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी निजार इब्राहिम ने बताया कि "हम खोज रहे हैं, ये एक पूछ की हड्डियां हैं, ये बहुत अनोखा है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा था. हमने इस रहस्यमयी अजीब डायनासोर को आखिरकार बना लिया है, हमने जो उम्मीद की थी उससे ये अलग और अजनबी लगता है."
हावर्ड यूनिवर्सिटी के ताज़ा शोध में खुलासा
इससे पहले भी स्पाइनोसोरस के जीवाश्म मिले थे लेकिन वो दूसरे विश्व युद्ध में नष्ट हो चुके थे, लिहाज़ा इसके बारे में अध्ययन करना मुमकिन नहीं था लेकिन निज़ार ने सहारा के रेगिस्तान में दूसरा स्पाइनोसोरस ढूंढ निकाला और जब उसका कम्प्यूटर पर मॉडल बनाया गया तो ये हैरान कर देनेवाला था. क्योंकि ये एक बहुत बड़ी खोज साबित होनेवाला था
जो था दुनिया का सबसे बड़ा मांसाहारी
साल 2014 में मोरक्कों में जिन अवशेषों का पता चला उसका उत्खनन बहुत बारीकी से किया गया और साल 2018 में स्पाइनोसोरस के ये अवशेष निकलते रहे और जितना ये बाहर निकलते उतना उत्साह बढ़ा रहे थे.
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ डेट्रॉयट मर्सी के निज़ार इब्राहिम 5 साल की उम्र से ही एक जीवाश्म विज्ञानी बनना चाहते थे. सहारा में एक स्पाइनोसोरस की खोज के लिए जाना उनके सपने से कम नहीं था, जब उन्हें वहां खज़ाना मिल गया हो.
सबसे पुराना, सबसे बड़ा पानी का खौफनाक राक्षस
निजार इब्राहिम ने ये भी बताया कि "हमें एक के बाद एक हड्डियां मिल रही थीं, और मैं भरोसा नहीं कर पा रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं फिर 5 साल का बच्चा बन गया हूं. इसके अलावा स्पाइनोसोरस का कंकाल अगर कहीं मिला था तो वो दूसरे विश्वयुद्ध में बर्बाद हो गया था. इसलिए यहां हमें नए चौंकानेवाले सबूत मिले, जिससे हम ये जान सके कि उसकी पीठ पर एक बड़ी पतवार बनी थी और संकरे जबड़े जो मगरमच्छ की तरह. ये बहुत बड़ा था, यहां तक कि T-REX से भी बड़ा. लेकिन अभी तक हमें स्पाइनोसोरस की पूरी एनॉटमी और जीवनशैली के बारे में नहीं पता था."
इसकी पूंछ को लेकर सबसे ज़्यादा रहस्य रहा है. पहले के रिकंस्ट्रक्शन्स बताते हैं कि ये एक लंबी पतली पूंछ थी. लेकिन जब निजार ने ये खोज की तो उसे पता लगा कि ये नए तरह की और कुछ अजीब है, इन अवशेषों में एक मीटर लंबी रीढ़ मिली, जिसमें पूंछ भी शामिल है. इससे इस पूंछ के उद्देश्य पर भी सवाल उठे.
किस ओर इशारा कर रहा है डायनासोर का नया स्ट्रक्चर?
ज़ाहिर तौर पर वैज्ञानिकों को ये लगने लगा था कि डायनासोर का नया स्ट्रक्चर इशारा कर रहा था कि स्पाइनोसोरस पानी में तैर सकता है. हावर्ड यूनिवर्सिटी को इसकी संरचना को बनाने के लिए दिया गया और जो संरचना सामने आई, उसने मछली जैसी उसकी पूंछ को सामने पेश किया, जो पानी में तैरने में मददगार होती है, बिल्कुल उसी तरह जैसे मगरमच्छ के लिए.
निजार इब्राहिम ने इस बात की जानकारी दी कि "स्पाइनोसोरस की पूंछ दूसरे डायनासोर्स की पूंछ से बिल्कुल अलग थी. मतलब इसकी पूंछ को कई तरीकों से मगरमच्छों से तुलना कर सकते हैं. प्रयोग से पता चला कि ये पूंछ किसी भी जानवर को पानी में तैरने की काबिलियत देती है."
निसार की इस खोज ने चर्चाओं पर लगा दिया विराम
पानी में डायनासोर के रहने का रहस्य दशकों से चर्चा का विषय रहा है. हालांकि इसी दौर में कई और ऐसे जानवर थे जो पानी में रहा करते थे लेकिन वो डायनासोर्स की बिरादरी से नहीं थे.
निजार इब्राहिम ने कहा कि काफी समय जीवाश्म विशेषज्ञों को यही लगता रहा है कि डायनासोर का राज पूरी दुनिया में था लेकिन पानी में बिल्कुल नहीं.
हालांकि पहले से ऐसे कई सबूत मौजूद थे कि स्पाइनोसोरस पानी में रह सकता है. जैसे की मगरमच्छों जैसे दांत और जबड़े, ऐसी हड्डियां जो जलचरों में होती है और आगे के पैर ऐसे थे कि वो तेज़ी से दौड़ लगा सकता है. फिर भी कोई पक्के सबूत नहीं थे जो ये कह सकें कि स्पाइनोसोरस पानी में तैर सकता है, पानी में रह सकता है. अब निसार की इस खोज ने इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया है.
'डायनासोर्स की एक प्रजाति पानी में रहा करती थी'
अब ये साबित हो चुका है कि डायनासोर्स की एक प्रजाति पानी में रहा करती थी और इस प्रजाति के आगे कोई और डायनासोर्स नहीं टिकता था क्योंकि ये अपने समय का अब तक का जाना गया सबसे बड़ा मांसाहारी जीव था जो पृथ्वी पर रहता था. स्पाइनासोरस, जीवाश्म विज्ञानी मानते हैं कि जो जीवाश्म उन्हें उन रेगिस्तानों से मिला वो स्पाइनासोरस के बच्चे का था, फिर भी वो 10 मीटर लम्बा था.
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अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उसका वयस्क कितना विशालकाय रहा होगा. कम्प्यूटर मॉडल से ऐसे विशालकाय जानवर की तैरने की रफ़्तार मापी गई तो पाया गया कि स्पाइनोसोरस 2.5 मीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार यानी 9 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से तैर सकता था.
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