वाराणसी: Ground Report- उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. यूपी चुनाव में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस का अपना अलग ही रुतबा है. बनारस में पब्लिक का झुकाव किसकी ओर है, इसी की हकीकत सामने लाने के लिए ज़ी हिन्दुस्तान की टीम जमीनी पड़ताल के लिए निकली. हमने वाराणसी के एक-एक विधानसभा क्षेत्र में जाकर लोगों की मिजाज जाना और समझा कि इस बार किस पार्टी का कितना भौकाल है.


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बनारस की 8 विधानसभा में कौन कितना दमदार?


वर्ष 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव में पूरा बनारस मोदीमय हो गया था, वाराणसी की सभी सीटों पर भाजपा का कमल खिला और बड़े अंतर से सभी उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी. ये समझना जरूरी है कि इस बार भी क्या मोदी-योगी की लहर बनारस में बरकरार रहेगी या फिर मोदी के बनारस में बीजेपी को तगड़ा झटका लगने वाला है.


कैंट विधानसभा


बनारस के कैंट विधानसभा से भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव से लोगों की नाराजगी है या फिर पब्लिक उनकी वापसी की तैयारी कर रही है. इसी के बारे में जानने के लिए हमारी टीम सबसे पहले मलदहिया पर पहुंची, वहां चाय की दुकान के पास लोगों की भीड़ लगी हुई थी. जब उनसे बात की तो लोगों में अपने विधायक के काम से काफी संतुष्टि दिखाई दी.


पिछले चुनाव में सौरभ के सामने कांग्रेस के नेता अनिल श्रीवास्तव थे, हालांकि उन्हें सौरभ की तुलना में आधे वोट से भी कम ही हासिल हुए थे. सौरभ के कामकाज को देखने के लिए हम लल्लापुरा इलाके में पहुंचे. वहां के लोग सौरभ से काफी नाराज नजर आए. उन्होंने कहा कि अपने परिवार के नाम पर सौरभ ने चुनाव जीता था, उन्हें इस बार पब्लिक समझा देगी.


बनारस में लंका के पास सामनेघाट में कई सारी कॉलोनी हैं. इन कॉलोनी में हर साल बाढ़ लोगों को परेशान करती है. लोगों के घर दुकान सबकुछ डूब जाते हैं. ऐसे में हमने इस इलाके में भी लोगों से बात की. लोगों ने सौरभ की काफी तारीफ की, लेकिन वहां मौजूद अवधेश दुबे नाम के एक शख्स ने कहा, 'भईया पेट पर लात पड़ रही है, इस सरकार में बहुत महंगाई है, हम लोग खाने के लिए परेशान हो जाते हैं. विधायक जी का व्यवहार तो अच्छा है, लेकिन व्यवहार से पेट नहीं भरता.'


शिवपुर विधानसभा


बनारस के शिवपुर में वर्ष 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के अनिल राजभर ने सपा के आनन्द मोहन को करारी मात दी थी, लेकिन इस बार क्या आनंद मोहन की वापसी होगी इसी को जानने के लिए हमने शिवपुर विधानसभा का रुख किया. हम आशापुर पहुंचे, वहां राशन की दुकानों पर लोगों की काफी भीड़ थी.


हमने लोगों से बात करने की कोशिश की, जब राशन की दुकान से कुछ लोग वापस आ रहे थे तो हमने पूछा कि भईया शिवपुर विधानसभा का क्या माहौल है? वहां मौजूद शिवम शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि 'भईया मैं कट्टर भाजपा का समर्थक हूं, लेकिन शिवपुर से ज्यादा तकलीफ देश भर में है. महंगाई ने तो सारे लोगों की कमर तोड़ दी है.'


शिवम के साथ भी कई लोग मौजूद थे, उन सभी ने इस चुनाव में महंगाई को मुद्दा बताया. हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि हमारे विधायक जी क्षेत्र के लिए काफी अच्छा काम कर रहे हैं. जब हमने काम के बारे में पूछा तो बताया कि '2015-16 तक शिवपुर के पूरे इलाके का हाल ऐसा था कि यहां सड़कों पर गड्ढे, स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हुई थी. लेकिन आम लोगों की जरूरतों के लिए हमारे विधायक ने खूब काम किया है.'


पब्लिक में जाहिर तौर पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं, लेकिन हमने कुछ दफ्तरों में जाकर सरकारी कर्मचारी से बात करने की कोशिश की. हम पोस्ट ऑफिस के बाहर खड़े थे और वहीं दो कर्मचारी बाहर चाय पीने आए. हमने उनसे बात-बात में ही पूछ लिया 'का भईया, इस बार विधायक जी की वापसी होगी या नहीं.'


दो कर्मचारी में से एक ने कहा कि 'हम तो इस इलाके का माहौल कई सालों से देख रहे हैं, सरकारें बदल जाती थी. लेकिन इस बार योगी जी का काम उत्तर प्रदेश में काफी बेहतर है. विधायक का तो नहीं पता मैं तो जो भी भाजपा से आएगा उसे वोट दूंगा.'


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वाराणसी उत्तरी विधानसभा


बनारस उत्तरी विधानसभा से रविंद्र जायसवाल ने पिछले चुनाव में प्रचंड वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार उनके पक्ष में लोगों का कितना झुकाव है, इसी को समझने के लिए हमने भोजूबीर का रुख किया. अपने विधायक से वहां के लोग कितने खुश हैं, इसी सवाल का जवाब लेकर हमने एक युवती से सवाल पूछा कि क्या इस सरकार में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ काम हुआ है.


युवती ने अपना नाम अंशिता बताया और कहा कि योगी जी के राज में हम खुद को काफी सुरक्षित महसूस करते हैं. अखिलेश यादव की सरकार में गुंडागर्दी चरम पर थी. अंशिता के साथ कुछ और महिलाएं भी थी. उन्होंने बताया कि उनके विधायक अक्सर क्षेत्र का दौरा करते हैं और लोगों की परेशानियों का समाधान करवाते हैं.


चूकि ये विधानसभा मुस्लिम बहुल इलाका है, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल समद अंसारी ने 45 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे और दूसरे स्थान पर थे.


ऐसे में आफताब नाम के एक व्यक्ति ने हमसे बात करते हुए कहा कि योगी सरकार की छुट्टी होनी जरूरी है. हम चाहते हैं कि अखिलेश की वापसी हो. आफताब से हमने पूछा कि क्या उन्हें ओवैसी नहीं पसंद हैं, तो उन्होंने कहा कि ओवैसी को मैं पसंद करता हूं लेकिन वो सरकार नहीं बना पाएंगे इसीलिए मैं अखिलेश को ही जिताना चाहूंगा.


योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल लगातार दो बार से इस इलाके से विधायक हैं. हमने ग्राउंड सर्वे किया तो ऐसा समझ आया कि ज्यादातर लोग उनसे खुश हैं. हालांकि कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि शायद इस बार उनका टिकट भी कट सकता है.


वाराणसी दक्षिण विधानसभा


योगी सरकार में संस्कृति मंत्री नीलकंठ तिवारी को लेकर पूरे बनारस में काफी नाराजगी नजर आई. बहुत लोगों का मानना है कि इस बार नीलकंठ तिवारी का टिकट कट सकता है. हालांकि वो योगी सरकार में मंत्री हैं.


भाजपा जिला कार्यकारिणी के एक सदस्य ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर हमसे बताया कि 'मंत्री जी को लेकर इस बार काफी निगेटिव रिपोर्ट्स हैं, वो अगर चुनाव लड़े और यहां से हार जाएंगे तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी.'


जब हमने उनसे पूछा कि पार्टी के अंदर का क्या माहौल है, तो उन्होंने कहा कि 'उड़ती-उड़ती खबर आ रही है कि इस बार या तो उनको चुनाव में टिकट नहीं मिलेगा या फिर उन्हें दूसरी जगह भेज दिया जाएगा.' हमने उस दूसरी जगह के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि पार्टी की बात पार्टी ही जाने...


सेवापुरी विधानसभा


सेवापुरी विधानसभा सीट पर फिलहाल अपना दल (सोनेलाल) के विधायक हैं. नील रतन पटेल ने 2017 में सपा के सुरेंद्र पटेल को करारी शिकस्त दी थी. हालांकि इस विधानसभा का हाल देखने के लिए हम पहुंचे तो काफी मिला जुला रुझान देखने को मिला.


यहां के लोगों का कहना है कि ग्रामीण इलाके में एकतरफा वोट पड़ता है, हम तो जो जीतेगा उसी को जिताएंगे. जब हमने पूछा कि यहां कौन जीतेगा? विधायक जी काम किए हैं या नहीं तो हर कोई सीधा जवाब देने से बचता नजर आया.


सेवापुरी के कपसेठी में एक ब्रेड पकौड़ा की दुकान पर हमें भारी भीड़ दिखी. हम भी वहां पहुंचे और पहले तो एक ब्रेड पकौड़ा खाया. खाते-खाते वहां पर मौजूद कुछ लोगों से पूछा कि क्या भईया विधायक जी चुनाव के बाद दिखते हैं या नहीं, तो उन्होंने कहा कि योगी सरकार का तो नहीं पता, लेकिन हमारे विधायक एक नंबर आदमी हैं. हमने भी पूछा ऐसा क्या कर दिया उन्होंने आपके लिए? अनुज सिंह नाम के एक व्यक्ति ने कहा ये पूछिए क्या-क्या किया. हमारे गांव का स्वरूप बदल गया. 5 साल पहले का कपसेठी और आज का कपसेठी देखिए.


रोहनिया विधानसभा


रोहनिया में पिछले विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह ने एकतरफा जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार उनके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. इस बार सुरेंद्र सिंह से लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. हालांकि उनके समर्थकों में अभी भी उत्साह दिखा.


ज़ी हिन्दुस्तान ने बच्छाव और गंगापुर का रुख किया जहां लोगों में अपने विधायक से ज्यादा योगी सरकार के प्रति नाराजगी नजर आई. गंगापुर में लोगों ने रोजगार और महंगाई को मुद्दा बताया. शकील नाम के एक ने बताया कि 'मेरी किराने की शॉप है हर गरीब परेशान है, मेरे सारे जानने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं. पब्लिक तो इस बार योगी सरकार को हटा कर ही मानेगी.'


अजगरा विधानसभा


इस विधानसभा सीट से ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक ने भाजपा से गठबंधन के दौरान चुनाव जीता था. कैलाशनाथ सोनकर ने लालजी सोनकर को 24 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था. इस बार उनकी पार्टी ने सपा से गठबंधन कर लिया है.


जब हमारी टीम हरहुआ पहुंची तो लोगों ने बताया कि कैलाशनाथ के मूड के बारे में कोई नहीं जानता, वो अगर यहां से निर्दलीय भी चुनाव लड़ लेंगे तो भी जीत सकते हैं. लोगों ने बताया कि उम्मीद है कि इस बार भाजपा खुद उन्हें ही टिकट दे दे.


हालांकि एक भासपा सपोर्टर ने बताया कि कोई भी कितनी भी गणित कर ले, अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी. ओमप्रकाश जी जिसे टिकट देंगे वही यहां से चुनाव जीतेगा.


पिण्ड्रा विधानसभा


लंबे समय तक लेफ्ट का गढ़ रहे इस विधानसभा में फिलहाल भाजपा के अवधेश सिंह विधायक हैं. जब हमने इस विधानसभा का हाल जानने के लिए निकले तो ज्यादातर लोग अपने विधायक से नाराज मिले.


हमने कई गांव में जाकर माहौल का जायजा लिया, लेकिन हर तरफ भाजपा से ज्यादा अपने विधायक के प्रति गुस्सा दिखा. बेलवा, रायपुर, हसनपुर, सिसवां और कोदई गांव में हमने कई युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक से बात की. हर किसी ने कहा कि अवधेश सिंह तो मोदी लहर में जीत गए थे.


हिमांशु नाम के एक युवक से हमने बात की तो उसने बताया कि 'इस बार अवधेश सिंह को समझ आ जाएगा कि पब्लिक सब जानती है. वो तो मोदी लहर में विधायक बन गए, वरना उनको उसी वक्त समझ आ जाता.'


हमें ऐसा लगा कि हिमांशु अवधेश सिंह के विरोधी होंगे, तभी इतना विरोध कर रहे हैं. इतने में एक शख्स बाइक से गुजर रहे थे. उम्र करीब 40-45 के बीच की लग रही थी. उनकी बाइक पर BJP लिखा हुआ था. हमने उनसे भी बात की. उन्होंने कहा कि 'देखिए मैं खुद भाजपा कार्यकर्ता हूं, योगी जी मोदी जी को पसंद करता हूं. लेकिन सच यही है कि इस बार भाजपा यहां बुरी तरह हार जाएगी.'


जब हमने उनसे वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि अवधेश सिंह यहां झांकने नहीं आते हैं. यहां जो इससे पहले विधायक थे अजय राय वो आज भी यहां के लोगों के लिए काम करते हैं. हारने के बावजूद लोगों के लिए खड़े रहते हैं.


ऐसे में हमने भी एक दूसरे शख्स से सवाल पूछ लिया कि इतना काम करते थे तो आखिर चुनाव क्यों हार गए? इतने में विकास नाम के शख्स ने बताया कि वो तो कांग्रेस से उस वक्त लोगों की नाराजगी थी.'


खैर जब हमने राजनीतिक विशेषज्ञों से इस विधानसभा को लेकर सवाल पूछा तो एक प्रोफेसर ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि 'बनारस से इस बार अगर कोई सीट भाजपा के हाथ से निकल सकती है तो वो पिण्ड्रा ही है. यहां अजर राय निर्दलीय चुनाव जीत जाते हैं. पिछली बार उनकी किस्मत खराब थी. हालांकि इस बार उनके पक्ष में माहौल है.'


मोदी के बनारस में किसका डंका बजने वाला है, वो तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. लेकिन ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि बनारस की कुछ सीटों पर भाजपा के लिए काफी समस्या होने वाली है. इनमें सबसे ज्यादा परेशानी का सबब पिण्ड्रा विधानसभा सीट साबित हो सकती है.

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