बरेली. उत्तर प्रदेश के रामपुर की जिला एवं सत्र अदालत ने नफरत भरा भाषण देने के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खां को एमपी/एमएलए अदालत से मिली तीन साल की सजा को चुनौती देने वाली याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक दुबे ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद खां की याचिका खारिज करते हुए उन्हें एमपी/एमएलए अदालत से मिली तीन साल की सजा को बरकरार रखा है.


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उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रामपुर जिला एवं सत्र अदालत को आजम खां की अपील पर आज फैसला करने के निर्देश दिए थे. चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया था कि वह रामपुर सदर सीट के उपचुनाव के लिए 10 नवंबर तक अधिसूचना जारी नहीं करे. इस पर आयोग ने अगले आदेश तक अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी.


सजा पर रोक लगाने की गुहार
आजम ने नफरत भरा भाषण देने के मामले में खुद को विशेष एमपी/एमएलए अदालत से मिली तीन साल की सजा को रामपुर जिला एवं सत्र अदालत में बुधवार को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी. अपील में खां ने खुद को मिली सजा पर रोक लगाने के आदेश देने का आग्रह किया है ताकि उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल की जा सके.


27 अक्टूबर को सुनाई गई थी सजा
रामपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने पिछली 27 अक्टूबर को आजम खां को वर्ष 2019 में नफरत भरा भाषण देने के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. यह फैसला होने के फौरन बाद लोक प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान के तहत उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई थी और विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया था.


पांच दिसंबर को होगा मतदान
चुनाव आयोग ने हाल ही में रामपुर सदर विधानसभा सीट के उप चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया है. इसके तहत इस सीट के उपचुनाव के लिए आगामी पांच दिसंबर को मतदान होगा. आजम के वकील विनोद शर्मा ने बताया कि रामपुर जिला एवं सत्र अदालत ने खां की अपील मंजूर करते हुए उन्हें 16 नवंबर तक अंतरिम जमानत दे दी है.


प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने बुधवार को विशेष सत्र अदालत को अपनी सजा पर रोक लगाने की खां की अपील पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करके फैसला करने के निर्देश दिए थे. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग आजम खां की अपील पर सत्र अदालत का फैसला आने के बाद 11 नवंबर या उसके बाद उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है.


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