देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है मुस्लिम युवाओं को कट्टरता पर धकेला जानाः दस्तावेज
कट्टरता फैलाना, खासकर मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक है और कट्टरपंथी संगठनों का मुकाबला करने के लिए उदारवादी मुस्लिम नेताओं तथा धर्मगुरुओं को भरोसे में लेना जरूरी है.
नई दिल्लीः कट्टरता फैलाना, खासकर मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक है और कट्टरपंथी संगठनों का मुकाबला करने के लिए उदारवादी मुस्लिम नेताओं तथा धर्मगुरुओं को भरोसे में लेना जरूरी है. सुरक्षा सम्मेलन में प्रस्तुत एक दस्तावेज में यह कहा गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी.
पीएम ने भी इस सम्मेलन में की थी शिरकत
भारतीय पुलिस सेवा के कुछ अधिकारियों द्वारा लिखे गए और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) के हाल में संपन्न सम्मेलन में प्रस्तुत दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि भारत में धार्मिक कट्टरवाद का उभार, मुख्य रूप से धामिक प्रचार, संचार के आधुनिक साधनों की आसान उपलब्धता, विशेष रूप से कूट संदेश भेजने समेत सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तान द्वारा इन कट्टरपंथी समूहों को प्रोत्साहित करने के कारण हुआ है.
गृह मंत्री अमित शाह भी हुए शामिल
तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और देश के करीब 350 शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल हुए. दस्तावेज में कहा गया, ‘‘कट्टरवाद, विशेष रूप से मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाया जाना हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है. भारत में कई कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन सक्रिय हैं, जो मुस्लिम युवाओं को कट्टरता के रास्ते पर धकेलने में संयुक्त रूप से लिप्त हैं. उनमें मुस्लिम समुदाय के लोगों की सोच को दूषित करने, उन्हें हिंसा के रास्ते पर धकेलने तथा साझा संस्कृति के खिलाफ काम करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है.
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पीएफआई सबसे कट्टर संगठन
दस्तावेज में कहा गया कि इन मुस्लिम संगठनों में पीएफआई सबसे शक्तिशाली कट्टरपंथी संगठन है. यह 2006 में गठन के बाद से दक्षिण भारत स्थित तीन संगठनों के विलय से एक राष्ट्रीय स्तर के संगठन के रूप में विकसित हुआ.
दस्तावेज में कहा गया कि धार्मिक कट्टरवाद में वृद्धि इतिहास और दर्स-ए-कुरान, अहले-हदीस जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में लगातार भाग लेने, मान्यता के विरूद्व किसी विचार को खारिज करने, इंटरनेट, मेल जैसे संचार के आधुनिक साधनों के कारण हुई है. दस्तावेज के अनुसार, ‘‘कट्टरवाद के क्षेत्रों की पहचान और निगरानी करने पर जोर दिया जाना चाहिए. चरमपंथ फैलाने और कट्टरपंथी संगठन की क्षमता के बारे में पूर्व विश्लेषण किया जाना चाहिए और इसके अनुसार कार्रवाई की योजना शुरू की जानी चाहिए.
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