यूपी में जातीय जनगणना पर अड़ी बीजेपी की सहयोगी पार्टी, टारगेट है 2024!
निषाद पार्टी ने कहा है-हम 1961 की जनगणना नियमावली के अनुसार यूपी में जाति सर्वेक्षण/जनगणना के पक्ष में हैं ताकि सभी जातियों को अपनी संख्यात्मक ताकत के बारे में पता चल सके. हम यह भी मांग करते हैं कि मछुआरों और नाविकों के तटवर्ती समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए और उसी के रूप में गिना जाए.`
लखनऊ. जातीय जनगणना की मांग भले ही विपक्ष बुलंद कर रहा हो लेकिन अब बीजेपी की सहयोगी पार्टी भी इसकी मांग कर रही है. दरअसल निषाद पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद ने यूपी में जाति सर्वेक्षण की अपनी पार्टी की मांग दोहराई है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि बीजेपी यह सुनिश्चित करेगी कि 2024 के लोकसभा चुनावों में सीट-बंटवारे समझौते के तहत उनकी पार्टी को 'सम्मानजनक संख्या में सीटें' मिलें.
निषाद ने कहा है-हम 1961 की जनगणना नियमावली के अनुसार यूपी में जाति सर्वेक्षण/जनगणना के पक्ष में हैं ताकि सभी जातियों को अपनी संख्यात्मक ताकत के बारे में पता चल सके. हम यह भी मांग करते हैं कि मछुआरों और नाविकों के तटवर्ती समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए और उसी के रूप में गिना जाए.'
सपा-बसपा सरकारों पर लगाए आरोप
जातीय जनगणना की मांग के साथ संजय निषाद ने विपक्षी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों पर भी निशाना साधा. उन्होंने तटवर्ती समुदाय के हकों को नकारने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी आगामी 2024 का लोकसभा चुनाव अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ेगी.
प्रवीण निषाद दो बार बने सांसद
निषाद पार्टी की स्थापना साल 2016 में हुई थी. इसके बाद से ही संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद दो बार लोकसभा सांसद हैं. लेकिन वो सांसद किसी अन्य पार्टी के चुनाव चिन्ह पर बने. प्रवीण पहले 2018 के लोकसभा उपचुनाव में सपा के चिन्ह पर गोरखपुर से और 2019 में संत कबीर नगर से बीजेपी के चिन्ह पर सांसद बने.
दूसरे बेटे भी बने विधायक
निषाद के दूसरे बेटे सरवन भी 2022 के यूपी चुनाव में भाजपा के चिन्ह पर चौरी चौरा विधानसभा सीट से विधायक बने. 2022 के यूपी चुनाव लड़ने और जीतने वाले 11 निषाद पार्टी के उम्मीदवारों में से 5 ने बीजेपी के प्रतीक पर ऐसा किया.