Chhattisgarh encounter: दोरनागुड़ा-टेकलगुड़ा की पहाड़ियों के बीच नक्सलियों-सुरक्षाकर्मियों के मुठभेड़ की पूरी कहानी
छत्तीसगढ़ में बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा के बीच जंगल में दोरनागुड़ा-टेकलगुड़ा की पहाड़ियों के बीच नक्सलियों ने 700 से ज्यादा जवानों पर घात लगाकर हमला किया.
रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा के बीच एक जंगल में नक्सलियों के साथ शनिवार को हुई मुठभेड़ में कम से कम 22 सुरक्षाकर्मी शहीद (Chhattisgarh Maoist Attack) हो गए और 31 अन्य घायल हुए हैं. इस हमले में शहीद जवानों की संख्या बढ़ने के आशंका अभी बरकरार है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ (Chhattisgarh Encounter) में सुरक्षाबलों के जवानों के शहीद होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से रविवार को बात की है और हालात का जायजा लिया. शाह ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (crpf) के महानिदेशक कुलदीप सिंह को स्थिति का जायजा लेने के लिए छत्तीसगढ़ जाने को कहा है.
इससे पहले, अमित शाह ने ट्वीट किया, ‘मैं छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए हमारे वीर सुरक्षाकर्मियों के बलिदान को नमन करता हूं. राष्ट्र उनके शौर्य को कभी नहीं भूलेगा. मैं उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. हम शांति और प्रगति के इन दुश्मनों (नक्सलियों) के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं.’
मोदी राज का सबसे बड़ा नक्सली हमला (naxal attack in chhattisgarh)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 6 तकरीबन सात साल के कार्यकाल में नक्सलियों ने शनिवार को बड़ी घटना को अंजाम दिया है. इस नक्सली हमले में 22 जवानों की मौत हो चुकी है जबकि 31 जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं. एक जवान अभी भी लापता है. जवानों की तलाश में हैलीकॉप्टर और यूएवी भेजे गए हैं.
कैसे दिया घटना को अंजाम (story behind clash between naxalites and security forces)
सुकमा-बीजापुर के बीच की सीमा पर जवानों और नक्सलियों का आमना सामना हुआ. यहां के एक जंगल में दोरनागुड़ा-टेकलगुड़ा की पहाड़ियों के बीच 600 से ज्यादा नक्सलियों ने जवानों को एंबुश में फंसाया और उनपर घातक हथियारों से हमला कर दिया.
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इससे पहले सुरक्षा बलों को जोनागुड़ा की पहाड़ियों पर बड़ी संख्या में नक्सलियों के इकट्ठा होने और डेरा जमाने का सूचना मिली थी. ऐसे में शुक्रवार रात सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो, बस्तरिया बटालियन और एसटीएफ के तकरीबन 2 हजार जवानों ने साझा ऑपरेशन शुरू किया.
नक्सलियों ने 700 जवानों को तीन तरफ से घेरकर फायरिंग की और इस घटना में 22 जवान शहीद हो गए. जबकि 31 जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं. घायलों में से 24 का बीजापुर में इलाज चल रहा है जबकि 6 को रायपुर रेफर किया गया है.
छत्तीसगढ़ के तर्रेम क्षेत्र के सिलगेर के जंगलों में शुक्रवार को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी. सर्च ऑपरेशन में एक साथ 2 हजार जवान निकले थे. मुठभेड़ में 15 नक्सली भी मारे गए हैं.
नक्सली नेता हिडमा था शामिल (naxal leader hidma)
नक्सलियों ने शनिवार को दोपहर 12 बजे जोनागुड़ा के आसपास एंबुश में फंसा लिया. नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच तकरीबन 3 घंटे मुठभेड़ चली थी. जिस जगह मुठभेड़ हुई वो इलाका 25 लाख के ईनामी नक्सल कमांडो हिडमा के गांव के करीब है. हिडमा को साल 2013 में बस्तर में कांग्रेसी नेताओं के ऊपर हुए हमले का मास्टर माइंड माना जाता है.
नक्सलियों के जमावड़े की सूचना मिलने पर बीजापुर के तर्रेम से 760, उसूर से 200, पामेड़ से 195, सुकमा के मिनपा से 483 और नरसापुरम से 420 जवान ऑपरेशन के लिए रवाना किए गए थे.
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10 दिन में दूसरा बड़ा हमला है. इससे पहले नारायणपुर में 23 मार्च को सुरक्षा बलों की बस को नक्सलियों ने निशाना बनाया था. जिसमें 5 जवान शहीद हुए थे. आईइडी ब्लास्ट के जरिए बस पर हमला किया गया था. बस के हमले में परखच्चे उड़ गए थे.
एक साल पहले भी सुकमा में हुई थी वारदात (Sukma Encounter)
21 मार्च 2020 को नक्सलियों ने सुकमा ने बड़े हमले को अंजाम दिया था. उस हमले में 17 जवान शहीद हुए थे. ये घटना सुकमा चिंतागुफा इलाके में उस वक्त हुई थी जब डीआरजी और एसटीएफ के जवान सर्चिंग पर थे.
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सुरक्षा बलों को एलमागुंडा के आसपास के इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. ऐसे में कोरजागुड़ा पहाड़ी के पास छिपे नक्सलियों ने चारों ओर से जवानों पर गोलियों की बौछार कर दी, इसके बाद जवानों ने जवाबी हमला किया लेकिन नक्सली मौका पाकर वापस जंगल में भाग निकले.
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