लखनऊ: उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल शुक्रवार को गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी. जेल के अंदर हुई अंधाधुंध फायरिंग से दो अपराधियों की मौके पर ही मौत हो गई. 


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जेल में बंद खूंखार अपराधी अंशु दीक्षित ने गैंगस्टर मुकीम काला और मेराज पर गोलियां बरसा दीं. जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. 


क्या था मामला


चित्रकूट जेल में हुई घटना को लेकर जेल के सूत्रों का कहना है कि अंशु दीक्षित और मेराज के बीच कुछ कहासुनी हो गई थी. 


इसी का नतीजा यह हुआ कि अंशु ने शुक्रवार को मेराज और मुकीम काला पर अंधाधुंद फायरिंग कर दी. मेराज और मुकीम की मौके पर ही मौत हो गई.



जेल में फायरिंग की आवाज सुनते ही जेल पुलिस अंदर पहुंची, तो पुलिस ने अंशु से हथियार डालकर आत्मसमर्पण करने को कहा. लेकिन अंशु ने पुलिस पर ही फायरिंग कर दी. इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने भी फायरिंग की, जिसमें अंशु दीक्षित मारा गया. 


एसपी चित्रकूट अंकित मित्तल ने यह जानकारी दी कि अंशु ने मेराज और मुकीम को मारने के बाद पांच अन्य कैदियों को बंदी बना लिया था. जेल पुलिस ने अंशु से कैदियों को छोड़ने की अपील की, लेकिन उसने समर्पण नहीं किया. इस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अंशु हको वहीँ पर मार गिराया. 


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मुख्तार का करीबी था मेराज


इस घटना में मारा गया कुख्यात अपराधी मेराज उर मेराजुद्दीन बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का बेहद करीबी माना जाता था. 


मुख्तार के खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद मेराज ने ही मुख्तार का काम संभाला था. इस तरह के सभी गैर कानूनी कामों में मुकीम उर्फ काला उसक साथी देता था. 


सीतापुर का शार्प शूटर था अंशु दीक्षित


अंशु दीक्षित ने साल 2013 में भोपाल में एमपी पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम पर गोली चला दी थी. इस घटना में एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र और भोपाल क्राइम ब्रांच का सिपाही राघवेंद्र पांडेय घायल हो गए थे.


इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने अंशु दीक्षित पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. 5 दिसंबर, 2014 को एसटीएफ को सूचना मिली कि अंशु गोरखपुर में मौजूद है और वहां से नेपाल भागने की फिराक में है.


इसके बाद पुलिस ने अंशु को घेर लिया और थोड़ी देर मुठभेड़ चलने के बाद अंशु को गिरफ्तार कर लिया गया था. अंशु दीक्षित को कुछ दिनों पहले ही सुल्तानपुर जेल से चित्रकूट जेल में शिफ्ट किया गया था. 


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