विपक्ष और सरकार में तलवारें खिंची, आज राज्यसभा में पेश होगा नागरिकता बिल
नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा की मंजूरी के बाद अब इस बिल का असली इम्तिहान राज्यसभा में है. सरकार आज इस बिल को राज्यसभा में चर्चा कराने और पास कराने के लिये रखेगी. आंकड़े तो मोदी सरकार के पास हैं लेकिन क्या वो बिल पास कराने में सक्षम होंगे, ये मतदान के बाद पता चलेगा.
दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध नजर आ रही है. राज्यसभा में ये बिल आज पटल पर रखा जायेगा. राज्यसभा की कार्यवाही की सूची के मुताबिक दोपहर 2 बजे इस बिल पर चर्चा शुरू होगी. राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा के लिये 6 घंटे का समय निर्धारित किया गया है.
राज्यसभा की पूरी स्थिति
राज्यसभा में मौजूदा समय में 240 सांसद हैं क्योंकि 5 सीटें रिक्त है. इस हिसाब से 121 बहुमत का आंकड़ा होगा.
समर्थन करने वाले दल और उनकी स्थिति-
भाजपा- 83, बीजेडी-7, अन्ना द्रमुक-11, जेडीयू-6, नामित- 4, अकाली दल- 3, शिवसेना-3, आजाद व अन्य- 11. इनमें पूर्वोत्तर के 2 सांसद शामिल नहीं हैं, जिन्होंने रुख साफ नहीं किया है. ये 2 सांसद वोटिंग के दौरान वॉकआउट करते हैं तो बहुमत का आंकड़ा 120 रह जाएगा.
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'केवल भाजपा ही देश के बारे में नहीं सोचती'
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम यह धारणा बदलना चाहते हैं कि बिल का समर्थन करने वाले और भाजपा ही देशभक्त हैं. यह केवल भ्रम है कि भाजपा को ही देश की फिक्र है. शिवसेना सांसदों ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था. बिल पास कराने के लिए 121 का आंकड़ा जरूरी हैं. शिवसेना को हटा भी दिया जाए तो भी अभी बिल का समर्थन करने वाले दलों के 125 सदस्य हैं.
राज्यसभा में मोदी सरकार की चुनौती
नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष का जिस तरह से रुख है. इसके बावजूद विपक्ष राज्यसभा में इस विधेयक को रोकने में बहुत मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रहा है. राज्यसभा में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, सपा के 9, वामदल के 6 और डीएमके के 5 और आरजेडी, एनसीपी और बसपा के 4-4 सदस्य हैं. इसके के अलावा टीडीपी के 2, मुस्लिम लीग के, 1 पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस के 1 और टीआरएस के 6 सदस्य हैं. इस तरह विपक्ष के पास 100 सदस्य होते हैं. यदि कोई दल सदन में वोटिंग के दौरान वॉकआउट कर देता है तो सरकार के आंकड़े और मजबूत होंगे.
जदयू में आपसी रार
जदयू ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन प्रशांत किशोर समेत कई वरिष्ठ नेता पार्टी के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं. प्रशांत किशोर ने इसे पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ बताया था. साथ ही जदयू नेता पवन वर्मा ने भी पार्टी को सचेत किया है कि इस बिल का समर्थन करने से पार्टी की विचारधारा पर असर पड़ रहा है. हालांकि जदयू की तरफ से भी साफ किया जा चुका है कि कुछ भी हो नागरिकता संशोधन बिल पर वो सरकार के साथ रहेगी. जदयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह ने कहा कि हम बिल का समर्थन करते हैं. अगर पाकिस्तान में सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो यह सही है.
विरोध करने वालों के पास हैं सिर्फ 113 वोट
आपको बता दें कि जो दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं राज्यसभा में उनकी कुल संख्या सिर्फ 113 ही है. बिल के विरोध में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, एनसीपी के 4, सपा के 9, आप के 3, बसपा के 4, सीपीआई के 1, सीपीएम के 5, डीएमके के 5, आईयूएमएल के 1, पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, एमडीएमके के 1, पीएमके के 1, आरजेडी के 4, शिवसेना के 3, टीआरएस के 6, 1 नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय एवं अन्य के साथ कुल 113 सांसद हैं.