दिल्ली: भारी हंगामे और विवाद के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कल नागरिकता संशोधन अधिनियम लोकसभा के पटल रखा जिसे लोकसभा ने देर रात पास भी कर दिया. अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस इतनी सेक्यूलर पार्टी है कि उसने केरल में मुस्लिम लीग और महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन कर रखा है. यह विधेयक किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, यह केवल उत्पीड़न और प्रताड़ना सहने वाले लोगों के लिये है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ना के शिकार हुए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख ,बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है.
लोकसभा में जदयू ने किया समर्थन
लोकसभा में इस बिल का समर्थन जदयू ने भी किया. बिहार में भाजपा के साथ सरकार चला रही जदयू ने पहले इसका समर्थन करने का ऐलान कर दिया था लेकिन कहा जा रहा था कि जदयू वोटिंग के समय वॉक आउट करके अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को भी बचाने की कोशिश कर सकती है और सरकार को परोक्ष रूप से समर्थन भी कर सकती है. इन सब कयासों के परे जदयू ने वोटिंग में हिस्सा लिया और बिल पास कराने में सरकार की मदद भी की. हालांकि पार्टी के इस फैसले का विरोध प्रशांत किशोर ने भी किया. उन्होंने इसे पार्टी की गांधीवादी विचारधारा के खिलाफ बताया.
राज्यसभा में होगी मोदी सरकार की असली परीक्षा
नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष का जिस तरह से रुख है. इसके बावजूद विपक्ष राज्यसभा में इस विधेयक को रोकने में बहुत मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रहा है. राज्यसभा में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, सपा के 9, वामदल के 6 और डीएमके के 5 और आरजेडी, एनसीपी और बसपा के 4-4 सदस्य हैं. इसके के अलावा टीडीपी के 2, मुस्लिम लीग के, 1 पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस के 1 और टीआरएस के 6 सदस्य हैं. इस तरह विपक्ष के पास 100 सदस्य होते हैं. यदि कोई दल सदन में वोटिंग के दौरान वॉकआउट कर देता है तो सरकार के आंकड़े और मजबूत होंगे.
इन दलों पर होगी विशेष नजर
सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ खड़े दलों के अलावा राज्यसभा में 19 सदस्य बचते हैं. इनके रुख पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. इनमें असम गण परिषद के 1, बोडोलैंड पीपुल फ्रंट के 1, एमडीएमके 1, नागा पीपुल्स के 1, पीएमके के 1 और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 1 राज्यसभा सदस्य हैं. इसके अलावा 6 राज्यसभा सदस्य निर्दलीय और अन्य के हैं.
राज्यसभा में मोदी सरकार के पास आंकड़े
आपको बता दें कि पिछले दो सालों में बीजेपी और एनडीए की ताकत राज्यसभा में बेहतर हुई है. राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं, लेकिन पांच सीटें रिक्त हैं, जिसके चलते फिलहाल कुल सदस्यों की संख्या 240 है. मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी. भाजपा के पास अपने 83 सांसद और जदयू के 6 सांसद हैं. इसके अलावा, एनडीए में शिरोमणी अकाली दल के तीन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के एक जबकि अन्य दलों के 13 सदस्य हैं. इस तरह एनडीए गठबंधन के अपने 106 राज्यसभा सांसद हैं.
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इन दलों से भी सरकार को उम्मीदें
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (एसपी) के नौ, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के छह, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के पांच, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के चार, आम आदमी पार्टी (आप) के तीन सांसद हैं. अगर इनमें कोई दल वोटिंग के समय सदन से वॉकआउट कर जाता है तो सरकार बिल पास कराने के और करीब पहुंच जायेगी. सरकार को आशा है कि के. चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति वॉकआउट कर सकती है.