कांग्रेसियों को सुप्रीम कोर्ट पर नहीं है भरोसा! शाहीन बाग पर अटकाने-लटकाने का `खेल`?
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर वार्ताकारों की नियुक्ति की, तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं को मिर्ची लगनी शुरू हो गई. कांग्रेसियों का दर्द सामने आने लगा है और उन्होंने ये बता दिया है कि उन्हें देश की न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है.
नई दिल्ली: क्या कांग्रेस नहीं चाहती शाहीन बाग आंदोलन खत्म हो. ये सवाल इसलिए क्योंकि कल सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग आंदोलन को लेकर सड़क खाली कराने को लेकर तीन वार्ताकारों की नियुक्ति की. लेकिन कांग्रेस पार्टी को इससे भी आपत्ति है. कांग्रेस ने कहा है कि पक्षकारों की बातचीत से कुठ हासिल नहीं होगा जो चर्चा होनी चाहिए वो वार्ताकार नहीं कर सकते. सरकार को खुद बातचीत करनी चाहिए.
शाहीन बाग पर 10 बड़े UPDATE
वार्ताकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने कल शाहीन बाग जाएंगे
शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों से बुधवार को बात होगी- संजय हेगड़े
हमारा मामला शाहीन बाग की सड़क से जुड़ा है- वजाहत हबीबुल्लाह
उम्मीद है प्रदर्शनकारियों को समझा लेंगे- वजाहत हबीबुल्लाह
धरना प्रदर्शन पर वार्ताकार नहीं सरकार बात करे- कांग्रेस
शाहीन बाग का प्रदर्शन एक सुनियोजित षड़यंत्र- मुख्तार अब्बास नक़वी
गुमराह गैंग ने शाहीन बाग को गड्ढे में डाल दिया- मुख्तार अब्बास नक़वी
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने वार्ताकार संजय हेगड़े से मुलाकात की-सूत्र
पुलिस ने संजय हेगड़े को शाहीन बाग के हालात की जानकारी दी- सूत्र
शाहीन बाग पर कांग्रेस का सबसे बड़ा 'छल'?
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा है कि "ये जो धरना प्रदर्शन है वो ना रहे इसके लिए कोई चर्चा होनी चाहिए बात होनी चाहिए और वो वार्ताकार नहीं कर सकते वो सरकार की तरफ से किया जा सकता है." यानी देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट पर कांग्रेस पार्टी को यकीन नहीं रहा. ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ऐसे मुद्दों पर राजनीति कर रही हो.
कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं?
भाजपा नेता टॉम वडक्कन ने इस मामले पर कांग्रेस पार्टी को खरी-खोटी सुनाई है. उन्होंने कहा है कि "आपका राइट टू प्रोटेस्ट अपनी जगह और लोगों को जो परेशानी आप दे रहे हैं इसका जो मसला है सुप्रीम कोर्ट के सामने है और वो अपने अनुसार फैसला करेगा."
साथ ही मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि "राइट टू प्रोटेस्ट को राइट टू प्रोवोक करने वालों ने हाई जैक कर रखा है और इस गुमराही गैंग ने गुमराह करने के गढ्ढे में डाल दिया है और एंट्री गेट बता कर एग्जिट गेट बंद कर दिया है." आपको उन 10 सुप्रीम प्रहार से रूबरू करवाते हैं जो देश की सर्वोच्च अदालत ने शाहीन बाग पर किया है.
शाहीन बाग पर सुप्रीम 'हथौड़ा'
पहला 'प्रहार'- विरोध के नाम पर सड़क जाम नहीं कर सकते
दूसरा 'प्रहार'- हर कोई सड़क पर उतरेगा तो क्या होगा?
तीसरा 'प्रहार'- ये जनजीवन ठप करने से जुड़ा मुद्दा है
चौथा 'प्रहार'- लोकतंत्र सबके लिए, प्रदर्शन से परेशान न हो
पांचवां 'प्रहार'- प्रदर्शन जारी रहा तो शहर के विभिन्न इलाके ब्लॉक हो जाएंगे
छठवां 'प्रहार'- लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की एक सीमा होती है
सातवां 'प्रहार'- चिंता इस बात की है कि प्रदर्शन सड़क पर हो रहा है
आठवां 'प्रहार'- ये आइडिया लेकर कल लोग कहीं और किसी मामले में सड़क पर प्रदर्शन करेंगे
नौवां 'प्रहार'- प्रदर्शन की वजह कितनी भी वाजिब हो, सड़क जाम नहीं की जा सकती
दसवां 'प्रहार'- सड़क पर यातायात बंद नहीं होना चाहिए
'सड़क जाम' प्रदर्शन पर क्या है कानून?
संविधान में अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार है, कोई भी नागरिक शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकता है. साथ ही नागरिक बिना हथियार किसी भी मुद्दे पर चिंता जता सकते हैं. लेकिन, यहां आपका ये जानना जरूरी है कि सरकार सड़क, हाईवे ब्लॉक करने वाला प्रदर्शन रोक सकती है. सरकार सार्वजनिक सभाओं के लिये सड़क, खुले इलाके बंद नहीं कर सकती. शांतिपूर्ण प्रदर्शन दूसरे नागरिकों के फ्री मूवमेंट का अधिकार नहीं छीन सकता है.
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सवाल यही है कि क्या कांग्रेस को अब सुप्रीम कोर्ट पर भी भरोसा नहीं है. अगर कोई संवाद से हल निकलता है तो कांग्रेस को इससे क्या दिक्कत है. शाहीन बाग पर हल नहीं क्या कांग्रेस सिर्फ हंगामा चाहती है. सवाल ये भी कि क्या वाकई मध्यस्त मार्ग से शाहीन बाग का समाधान निकलेगा.
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