नई दिल्लीः टी.एस. सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री बनाने के बाद, कांग्रेस आलाकमान अब राजस्थान में गहलोत-पायलट झगड़े को सुलझाने के प्रयास में जुटा है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेता तीन फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं.


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जानिए क्या है पहला फॉर्मूला
पहले फॉर्मूले के तहत इस बात पर चर्चा हो रही है कि पायलट को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और सीडब्ल्यूसी सदस्य बनाया जाए और उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव अभियान समिति का प्रभार भी दिया जाए.


ये है पायलट को मनाने का दूसरा फॉर्मूला
दूसरा फॉर्मूला पायलट को राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में वापस लाने पर है. ऐसे में गहलोत खेमा परेशान हो सकता है क्योंकि वह चाहता है कि पार्टी प्रमुख उनके गुट का ही कोई व्यक्ति बने.


गहलोत गुट का कहना है कि चुनावी साल में मौजूदा पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोतासरा को हटाने से जाट वोट बैंक में सेंध लग सकती है. हालांकि, पार्टी आलाकमान इस बात पर चर्चा कर रहा है कि क्या डोतासरा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.


तीसरे फॉर्मूले के हिसाब से ये हो सकता है
तीसरे फॉर्मूले के मुताबिक, पायलट और गहलोत को आमने-सामने बैठाकर मतभेदों को दूर किया जाए. इस बात पर भी विचार किया जाय कि क्या पायलट को अगले चुनाव के लिए सीएम चेहरा बनाया जा सकता है?


गहलोत और पायलट को साथ लाने की कवायद
पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी चाहती है कि गहलोत और पायलट एक साथ आएं और अगला चुनाव एकजुट होकर लड़ें. बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. यह समय समय पर सामने भी आता रहता है. 


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