लखनऊ: भाजपा से निष्कासित उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्‍ली की तीस हजारी अदालत ने POCSO एक्ट के तहत दोषी करार दिया है. अब उनकी सजा का इंतजार किया जा रहा है. कुलदीप सिंह सेंगर की सजा पर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट 20 दिसंबर को फैसला सुनाएगी. माना जा रहा है कि उनको 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.


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भाई के कारनामों से हुआ ये हाल



गांव वालों को मानना है कि विधायक को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने से लेकर सजा होने तक के पूरे घटनाक्रम में विधायक के भाई ही बहुत हद तक जिम्मेदार रहे. विधायक राजनीतिक पहुंच और पकड़ के सहारे अपने भाइयों की दबंगई और उनके गलत कार्यों पर पर्दा डालते रहे. यहां तक अपर पुलिस अधीक्षक को गंगाघाट थाना क्षेत्र में विधायक के भाई ने गोली मार दी थी. उस मामले की फाइल तक गायब करा दी गई, मामला आज तक दबा पड़ा.


दुष्कर्म कांड की कलंक गाथा


पहले 4 अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता को पीटा गया, पुलिस ने घायल के विरुद्ध रिपोर्ट लिख अस्पताल भेजा. 7 अप्रैल 2018 को विधायक, उसके भाई व अन्य पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर पीड़िता ने सीएम आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया. 8 अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता को जेल से अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इसके बाद केस दर्ज किया गया. 



28 अगस्त 2019 को चाचा से मिलने रायबरेली जेल जाते समय पीड़िता की गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ, जिसमें पीड़िता और उसका वकील गंभीर घायल हुए, जबकि उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई थी. फिर मामले दिल्ली शिफ्ट कर दिये गये.


सेंगर कर रहा है रहम की मांग


 कुलदीप सेंगर के वकील ने कहा कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का पूरा जीवन जनता की सेवा में समर्पित रहा. 2002 से लगातार कुलदीप सेंगर को एमएलए चुना जा रहा है। विधायक ने इस दौरान कई विकास कार्य किए हैं. कम सजा के पक्ष में तर्क दिया कि विधायक का तिहाड़ जेल में अभी तक का व्यवहार अच्छा रहा है. विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की दो बेटियां हैं, उनकी शादी की उम्र है, इसलिए दया की जाए.


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