नई दिल्ली: कोरोना से जंग के लिए पूरा देश तैयार हैं और वैक्सीनेशन के तीसरे चरण में डोज देने की शुरुआत भी हो चुकी है, लेकिन आने वाली नई वैक्सीन जिन्हें अभी मंजूरी मिलना बाकी है, वे कोरोना के खिलाफ जंग में कितनी कारगर हैं. इसे लेकर कई दावे किए जा रहे हैं. 
45 वर्ष से अधिक आयु की 34 करोड़ लोगों का टीकाकरण महाअभियान भारत में शुरू हो चुका है, लेकिन फिर भी एक बड़ी आबादी अभी भी टीकाकरण से दूर है. 


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खासतौर पर तब जब यह साफ हो गया है कि नया म्यूटेशन और विदेशी स्ट्रेन उस आबादी को घातक तरीके से संक्रमित कर सकता है जिसे हम स्वस्थ मानते हैं. यानी युवा और बच्चे, ऐसे में जरूरी है कि भारत अपनी बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण के लिए नई वैक्सीन को अनुमति दें. 


खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन कह चुके हैं कि 7 वैक्सीनें ऐसी हैं जिन्हें आने वाले चंद महीनों के अंदर अनुमति मिल जाएगी. इन सात में से दो वैक्सीन तो ऐसी है जिन्हें अप्रैल के महीने में ही मंजूरी मिल सकती है.


जिसमें सबसे पहला नंबर आता है रूस की स्पुतनिक 5 का, जिसका उपयोग रूस समेत कई देशों में किया जा रहा है, जिसने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की कमेटी के पास आपातकालीन उपयोग की अर्जी दी है, हालांकि अभी कमेटी ने कुछ और डेटा मांगा है.


वहीं दूसरे नंबर पर है गुजरात की जैडियक कैडिला जो डीएनए से बनी है और जिसे लगाने के लिए माइक्रोनीडल का प्रयोग किया जाएगा यानी इंजेक्शन लगाने मैं होने वाले दर्द को भी दूर किया जा सकता है.


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इन वैक्सीनों को मिल सकती है मंजूरी


स्पुतनिक 5


रूस समेत कई देशों में इसका प्रयोग किया जा रहा है, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडियाा से इस वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी भी मांगी गई है. 


जेडियक कैडिला


इस वैक्सीन को बनाने में डीएनए का प्रयोग किया गया है, जिसे माइक्रोनीडल से दिया जाएगा यानी इंजेक्शन लगाने में दर्द नहीं होगा. यह वैक्सीन अभी तीसरे चरण के ट्रायल में है. 


जॉनसन एंड जॉनसन


इस वैक्सीन की एक डोज ही काफी है, यानी व्यक्ति को दो बार इंजेक्शन लगवाने और टीकाकरण केंद्र पहुंचने की जरूरत नहीं होगी. 



भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन


भारत बायोटेक आईसीएमआर वैक्सीन का यह आधुनिक वर्जन है, इसमें इंजेक्शन नहीं बल्कि नाक में ड्रॉप डालकर वैक्सीन दी जाएगी इसका ट्रायल भी शुरू हो चुका है.


जेनोवा बायोटेक


यह वैक्सीन एम आर एन ए तकनीक के जरिए बनाई जा रही है, लेकिन अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की तुलना में इसकी कोल्ड चेन बनाना आसान है.


फाइजर 


यह भी अमेरिका की कंपनी है, जिसने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास पहले आवेदन दिया था ,लेकिन मंजूरी नहीं मिली. यह कंपनी दोबारा अपने सस्ते वर्जन के साथ भारतीय बाजारों का रुख कर सकती हैं


मॉडर्ना


संभव है कि भविष्य में अमेरिका की यह एक और कंपनी बच्चों के टीकाकरण के लिए भी वैक्सीन विकसित करके भारत में ट्रायल चलाए. 



नई वैक्सीन को लेकर क्या हैं डॉक्टरों की राय
आइएमए के डॉक्टर के के अग्रवाल की मानें, तो नई वैक्सीन म्यूटेशन और स्ट्रेन के खिलाफ ज्यादा कारगर साबित होगी, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि अगर आप टीकाकरण लाभार्थी श्रेणी में आते हैं तो नई वैक्सीन का इंतजार करें.


क्योंकि मौजूदा दोनों वैक्सीन भी पूरी तरह से प्रभावी हैं और इंतजार के चलते आप संक्रमण का शिकार भी हो सकते हैं.


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