क्या भारत के लिए परेशानी की वजह बनेगा कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट?
Covid-19 Delta Plus variant: कोरोना का नया म्यूटेंट क्या बनेगा भारत में परेशानी और तीसरी लहर की वजह
नई दिल्ली: भारत में जिस वक्त कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर थी तब से ही सरकार से लेकर आम लोगों तक सभी को तीसरी लहर का डर सताने लगा था. दूसरी लहर के दौरान माना गया कि भारत में पाया गया कोरोना का डेल्टा वैरिएंट परेशानी की मुख्य वजह था. कोराना का ये वैरिएंट अन्य म्यूटेंट की तुलना में तेजी से फैलता है और घातक होता है.
भारत में बढ़ते कोरोना के बढ़ते वैक्सीनेशन की खबरों के बीच मंगलवार को एक खबर ये भी आई की देश में अब तक कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस वैरिएंट’ के 22 मामलों का पता चला है. सरकार के मुताबिक यह अभी चिंता करने वाला वैरिएंट नहीं है.
डेल्टा प्लस वैरिएंट के जो 22 मामले सामने आए हैं उनमें से 16 महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगांव में मिले हैं. जबकि बाकी के मामले मध्य प्रदेश तथा केरल के हैं. ऐसे में यह जानना बेबद जरूरी है कि कोरोना के इस नए वेरिएंट कितना घातक होगा?
वायरस के लिए अपने वजूद को बचाए रखने के लिए म्यूटेट करना जरूरी है. ऐसा वो हमेशा करते रहते हैं. कोरोना वायरस भी अबतक कई बार म्यूटेट हो चुका है. जिसका डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में पाया गया था. इसके बाद डब्लूएचओ ने इसे डेल्टा वैरिएंट नाम दिया गया. कोरोना का डेल्टा वैरिएंट आज पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. ऐसे में भारत के सामने डेल्टा पल्स नाम के एक और वैरिएंट के रूप में खड़ी हो गई है.
क्या है कोरोना का डेल्टा प्लस?
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट का म्यूटेंट है. डेल्टा वैरिएंट की नई पीढ़ी का नाम डेल्टा प्लस है. कोरोना का ये वैरिएंट पहली बार इसी साल मार्च में यूरोप में मिला था लेकिन ये भारत में प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है.
कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग पूरी दुनिया में तेजी से की गई थी बावजूद इसके इस बीमारी के बारे में कोई भी बात स्पष्ट तौर पर निकलकर सामने नहीं आ सकी है. वायरस की शुरुआत और बीमारी के कारण आज भी पहेली बने हुए हैं.
मार्च में ही म्यूटेट हो गया था डेल्टा वेरिएंट
जिस गति से डेल्टा वेरिएंट भारत में अप्रैल-मई कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की सूनामी लेकर आया था उतनी ही तेजी से डेल्टा ने खुद को म्यूटेट करके डेल्टा प्लस भी बना लिया है. सैद्धान्तिक रूप से देखें तो यह वैरिएंट पहले वाले रूप से ज्यादा खतरनाक हो सकता है. हालांकि अभी ऐसी कोई पुष्टि किसी भी रिसर्च या स्त्रोत से नहीं हो सकी है.
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दिसंबर 2020 में पहली बार मिला था डेल्टा वेरिएंट
डेल्टा वेरिएंट पहली बार महाराष्ट्र में दिसंबर 2020 में मिला था. इसे B.1.617.2 या सार्स-2 का दूसरा वर्जन करार दिया गया है. इसे डेल्टा नाम डब्लूएचओ ने मई में दिया था. डब्लूएचओ के मुताबिक दुनियाभर के तकरीबन 75 देशों में डेल्टा म्यूटेंट पाया जा चुका है, यूके में इसका सबसे आक्रामक रूप देखने को मिला है. अमेरिका में भी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के मामलों में पिछले सप्ताह संक्रमण तेजी से बढ़ा है.
क्यों खतरनाक है डेल्टा वेरिएंट?
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट दुनिया को ज्याद चिंता में डाल रहा है. ये पाया गया है कि ये वायरस पुराने वायरस यानी अल्फा वेरिएंट की चुलना में बहुत तेजी से फैलता है. रिसर्च में पाया गया कि अल्फा वेरिएंट अपने पूर्व के वर्जन की तुलना में 43-90 प्रतिशत तेजी से फैलता है. वहीं डेल्टा वेरिएंट अल्फा की तुलना में 40 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलता है.
100 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलता है डेल्टा वेरिएंट
एमआईटी के एक प्रकाशन में दावा किया गया है कि डेल्टा वेरिएंट कोरोना के अल्फा वेरिएंट की तुलना में 100 प्रतिशत ज्यादा तेजी से संक्रमण फैला सकता है. गावी वैक्सीन अलायंस के मुताबित डेल्टा वैरिएंट मरीजों को बीमार करने के बाद तेजी से उनकी स्थिति बिगाड़ता है. इस वायरस से संक्रमित होने के बाद मरीज की तबीयत बेहद तेजी से खराब होती है.
डेल्टा वेरिएंट से प्रभावित होने वालों के लक्ष्ण
गावी एलायंस के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों के सिर में दर्द, गले में खराोश, नाक का बहना और बुखार जैसे लक्षण देखे गए हैं. इसमें सूंघने की क्षमता और खांसी जैसे लक्षण कम देखने को मिले हैं.
क्या वैक्सीनेशन को दिखा सकता है धत्ता
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के प्रति वैक्सीन का कैसा असर होगा यह बात सबके जेहन में चल रही है. अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल डिंग ने डेस्टा वर्जन के खिलाफ कोरोना वैक्सीन की क्षमता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, एस्ट्राजेनेका का भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाई जाने वाली वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी हो सकती है.
लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक डेल्टा म्यूटेंट के खिलाफ कोरोना वैक्सीन का एक डोज कम प्रभावी होगा. दो डोज लगवाने के बाद फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की क्षमता अल्फा वैरिएंट के खिलाफ 92 प्रतिशत से घटकर डेल्टा के खिलाफ 79 प्रतिशत हो जाती है.
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