इस राज्य में शुरू हुआ `गाय संरक्षण कोष`, जानें कैसे करेगा काम
अपील के बाद मंगलवार तक कोष में 6,31,125 रुपये जमा हो चुके थे. जिलाधिकारी ने कहा कि निधि के गठन के पीछे मूल उद्देश्य गौ आश्रय गृहों के सुचारू संचालन और प्रबंधन को सुनिश्चित करना था.
लखनऊः जन सहयोग से छुट्टा पशुओं के लिए चारा बैंक की स्थापना के बाद लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने अब जिले में एक और नई पहली की है. उन्होंने गौशालाओं में रखी गई ऐसी गायों की सहायता के लिए कोष की स्थापना की है. जिलाधिकारी ने चार जून को ‘गाय संरक्षण कोष’ के नाम से एक बैंक खाता खोला. जिलाधिकारी ने कोष में स्वयं 11 हजार रुपये का प्रारंभिक योगदान दिया.
इन अधिकारियों ने दिया योगदान
जिलाधिकारी के बाद मुख्य विकास अधिकारी, उप जिलाधिकारी तथा अन्य अधिकारियों ने इस खाते में योगदान दिया. महेंद्र बहादुर सिंह ने अपने सभी अधिकारियों और आम जनता से खाते में पैसे दान करने की अपील की ताकि गौ रक्षा और संरक्षण में योगदान दिया जा सके.
उनकी अपील के बाद मंगलवार तक कोष में 6,31,125 रुपये जमा हो चुके थे. जिलाधिकारी ने कहा, “निधि के गठन के पीछे मूल उद्देश्य गौ आश्रय गृहों के सुचारू संचालन और प्रबंधन को सुनिश्चित करना था ताकि गायों को वहां असुविधा का सामना न करना पड़े.”
ऐसे होगा कोष का इस्तेमाल
उन्होंने कहा, “इस कोष का उपयोग आश्रय गृहों में शेड, चारा, स्टैंड आदि के प्रबंधन के अलावा निर्माण कार्यों में भी किया जाएगा.” मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अजीत सिंह के अनुसार, जिले में कुल 48 गौ-आश्रय गृह स्थापित किए गए हैं जिनमें नौ हजार गायों को आश्रय मिलता है. दो अन्य गौ-आश्रय गृह जल्द ही बनकर तैयार हो जायेंगे.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, 5500 गायों को उन लोगों को सौंप दिया गया है, जिन्होंने स्वेच्छा से उन्हें सरकारी योजना के अनुसार गोद लेने के लिए इच्छा जाहिर की थी. गौरतलब है कि योजना के तहत गाय गोद लेने पर गोपालक को 30 रुपये प्रतिगाय प्रतिदिन के हिसाब से सरकार अनुदान देती है.
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