पुलिस हिरासत में मौत के केस महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा, संसद में सरकार का जवाब
कस्टोडियल डेथ के मामले में विपक्ष खुद ही घिरता नजर आ रहा है. यूपी की तुलना में महाराष्ट्र में दोगुने से ज्यादा ऐसे मामले हैं.
नई दिल्ली. हिरासत की मौत के मामलों में जहां एक तरफ लगातार भाजपा शासित उत्तर प्रदेश विपक्ष के निशाने पर रहा है. वहीं आज संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के द्वारा दिए गए जवाब के बाद विपक्ष खुद ही घिर गया है.
दरअसल आज संसद में बीते कुछ दिनों से बागी तेवर अपनाए भाजपा सांसद वरुण गांधी ने केंद्र सरकार से custodial deaths यानी हिरासत में मौत के मामले को लेकर सवाल पूछा था, उसी के जवाब में केंद्र सरकार ने हिरासत में हुई मौतों के मामले का ब्यौरा दिया.
इसमें बताया गया कि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन वाले महाराष्ट्र में ऐसे सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
महाराष्ट्र में 26 कस्टोडियल डेथ
बीते 1 साल में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 26 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है जबकि दूसरे नंबर पर गुजरात में 21 और तीसरे नंबर पर बिहार में 18 ऐसे मामले सामने आए हैं. जबकि उत्तर प्रदेश में 11 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं जो इन राज्यों के मुकाबले काफी कम है.
अखिलेश और प्रियंका उठाते रहे हैं मुद्दा
सपा सुप्रीमो और UPके पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एनकाउंटर और कस्टडियल डेथ के मामले में योगी सरकार पर हमलावर रही हैं.
देश में कुल 151 केस
केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए जवाब में बताया गया कि बीते 1 साल में पूरे देश में ऐसे 151 मामले दर्ज किए गए हैं. राज्यवार सूची की बात करें तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में ऐसे एक भी मामले सामने नहीं आए हैं.
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कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की बात हो या बीते दिनों आगरा में पुलिस हिरासत में हुई अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला हो, UPकी योगी सरकार विपक्ष और एक खास जमात के निशाने पर रही है लेकिन आज आए आंकड़ों के बाद महाराष्ट्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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