दिल्ली पुलिस के भरोसे को तोड़ने की फिराक में हैं `किसान`? जानिए कैसे
किसान आंदोलन को लम्बा खींचने की तैयारी है, क्योंकि ट्रैक्टर मार्च के बाद भी किसान आंदोलन जारी रखेंगे. किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने 1 फरवरी को संसद मार्च का ऐलान किया है. सवाल ये उठता है कि क्या किसान नेता दिल्ली पुलिस के भरोसे को तोड़ने के फिराक में हैं?
नई दिल्ली: 26 जनवरी को यानि कुछ ही घंटे बाद ट्रैक्टर परेड के लिए किसानों ने तैयारी कर ली है, लेकिन सवाल भरोसे का है. कभी किसान नेताओं को गोली मार दी जाएगी का आरोप लगाना. कभी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की बिजली काटने की धमकी, तो कभी खालिस्तानी झंडा फहराने की बात करना, तो कभी यह तक कह देना कि पुलिस इजाजत दे या न दे किसान तो ट्रैक्टर परेड निकालेगा. अब किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने ऐसी बात कह दी है, जिससे ये सवाल तो उठता ही है कि क्या किसान गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली पुलिस का भरोसा तोड़ने वाले हैं?
दिल्ली पुलिस का भरोसा टूटेगा तो क्या होगा?
किसान नेता दर्शनपाल सिंह (Darshanpal Singh) ने कहा है कि 1 तारीख सोमवार को हम संसद की तरफ संसद कूच करेंगे. हम उस दिन पूरी तैयारियों से मार्च करेंगे. 1 फरवरी को बजट दिवस पर किसान विभिन्न स्थानों से संसद की ओर मार्च करेंगे. उन्होंने ये भी कहा है कि 27 जनवरी की शाम तक किसान परेड करेंगे. तो क्या क्या दिल्ली पुलिस के भरोसे को किसान नेता तोड़ देंगे.
किसानों का ये फैसला पुलिस (Delhi Police) की गाइडलाइन से अलग है. दर्शनपाल का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च 27 जनवरी तक जारी रहेगा. हजारों ट्रैक्टर आए हैं, इसलिए 27 जनवरी तक रैली होगी. लेकिन दर्शनपाल को ये बात नहीं याद है कि पुलिस ने सिर्फ 26 जनवरी के लिए इजाजत दी है. परमिशन कल दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक की है.
दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने जताया था भरोसा!
रविवार को दिल्ली पुलिस के इंटेलीजेन्स स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक (Deependra Pathak) ने किसानों पर भरोसा जताते हुए कहा था कि 'पूरी सिक्योरिटी में ट्रैक्टर रैली संपन्न कराई जाएगी. दिल्ली पुलिस के लिए बहुत चैलेंजिंग टास्क होगा, लेकिन हम चाहते हैं कि दोनों के लिए इस से फायदा हो. जब 26 जनवरी की परेड खत्म हो जाएगी, तब किसान रैली शुरू होगी. परमिशन 26 तारीख की है, उस समय जैसी स्थिति होगी. उसी समय मिल बैठकर इसे खत्म कराया जाएगा. किसान भाईयों पर मुझे पूरा भरोसा है. उन्होंने बोला है वह जहां से आएंगे, वहीं से वापस लौट जाएंगे.' लेकिन दर्शनपाल की बातों से ये समझा जा सकता है कि वह दिल्ली पुलिस के इस भरोसे को तोड़ने की फिराक में हैं.
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क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल ने इस मौके पर ये भी कहा कि '1 तारीख को संसद कूच की ही तैयारी है. दिल्ली में 8 जगह से ये रैली 10 बजे से शुरू होगी. विभिन्न जगहों से किसान 1 फरवरी को संसद की ओर पैदल मार्च करेंगे. ड्राइवर के साथ 3-4 लोग होंगे, लंगर कमेटी खाना पानी देगी. चिल्ला, पलवल, गाज़ीपुर, टिकरी, शाजापुर, सिंघु और भी जगह है मुझे नाम याद नहीं आ रहा. हम गणतंत्र दिवस की परेड किसी और दिन कैसे कर सकते थे. ये उनके उनपर निर्भर करता है, वो चाहे तो प्रोटेस्ट आज भी खत्म हो सकता है. यूथ से ये कहना है कि स्टंट ना करें, ट्रेक्टर धीरे चलाएं, पीसफुल रैली रखे.'
दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली करने के पीछे का मंसूबा दरअसल दिल्ली पर अवैध कब्जा करना है. यही वजह है कि किसान आंदोलन को खामख्वाह का लंबा खींचा जा रहा है. बहाना ढूंढा जा रहा है देश को अस्थिर करने का, लोकतांत्रित तरीके से चुनी हुई सरकार को डराने धमकाने का.. यही वजह है कि सरकार के लाख मनुहार के बाद भी किसान नेता टस से मस होने को तैयार नहीं हुए. किसान नेताओं को मनाने के लिए सरकार और देश की सर्वोच्च अदालत ने कितनी कोशिश की.
सरकार की पहल, किसान अड़ियल
31 दिसंबर 2020, आठवां राउंड: पराली, बिजली पर किसानों की मांग मानने को तैयार
20 जनवरी 2021, 11वां राउंड: डेढ़ साल तक कानून निलंबित, बातचीत के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव
22 जनवरी 2020, 12वां राउंड: 2 साल तक कानून होल्ड करने का प्रस्ताव
12 जनवरी 2021: सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर रोक लगाई, बातचीत के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाई
जिस कानून को लेकर इतना बवाल है उसे सरकार होल्ड करने पर राजी हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने इसके अमल पर रोक लगा दी, पर किसान नेता अपनी जिद पर अड़े रहे. इस बीच ट्रैक्टर रैली का पेच आया. पुलिस पहले इजाजत देने से इंकार करती रही आखिरकार उसके लिए भी मान गई. लोकतांत्रिक सरकार ने जब हर बात के लिए रजामंदी दे दी कुछ किसान नेताओं को लगा कि देश को अस्थिर करने का उनका काम तो अधूरा ही रह गया. लिहाजा वो खुलकर खेलने लगे.
दिल्ली को बंधक बनाने की साजिश!
आशंका है कि ट्रैक्टर रैली के बहाने दिल्ली (Delhi) को बंधक बनाने की साजिश रची जा रही है. अब यही बात किसान नेता दर्शन पाल ने खुद अपनी जुबान से कह रहे हैं. प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस का सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू विदेशी सरजमीं से डंके की चोट पर कह रहा है वही बात किसान आंदोलन में घुसपैठ कर चुका लाल सलाम गैंग भी दबी जुबान से कह रहा है. तिरंगा की बजाए खालिस्तानी झंडे लेकर इंडिया गेट पर धावा बोलने के लिए उकसा रहा है.
आंदोलन में विदेशी फंडिंग का खेल
अब आप इस आंदोलन के पीछे हो रही विदेशी फंडिंग के खेल को भी समझिए. पाकिस्तानी सेना के साथ वहां की खुफिया एजेंसी आईएसएआई भी एक्टिव है. पाकिस्तान के अलावा भीतरखाने खबर ये है कि इटली से सतविंदर सिंह बाजवा और संतोख सिंह लल्ली ने फंड जुटाया है. ब्रिटेन से सुखजिंदर सिंह और कुलंत सिंह धेसी और तरसेम सिंह देओल ने फंड का बंदोबस्त किया है. कनाडा से जोगिंदर सिंह बस्सी और हरजीत सिंह गिल ने फंड जुटाया है, जबकि अमेरिका से गुरपतवंत सिंह पन्नू ने फंड भेजा है. परमजीत सिंह पंजवार और वधावा सिंह ने पाकिस्तान में बैठकर खाड़ी देशों से फंड जुटाया है.
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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर स्वघोषित किसान नेताओं की साजिश हताशा बनकर सामने आ गई. पिछले एक पखवाड़े से ट्रैक्टर रैली की जिद पर अड़े कुछ किसान नेताओं का असली चेहरा अब उजागर हो चुका है. ट्रैक्टर रैली निकालने की जिद का हल जब दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं से बातचीत कर निकाल लिया तो गणतंत्र के षड्यंत्रकारियों की मुहिम फेल होती नजर आई. देश को अस्थिर करने की साजिश की नाकामी की हताशा ऐसी बढ़ी की जुबान से जहर उगला जाने लगा. सवाल यही है कि क्या 'किसान' दिल्ली पुलिस के भरोसे को तोड़ने की फिराक में हैं?
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