दिल्ली: दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंसा के बाद बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने कैंपस पहुंचकर नये विवाद को जन्म दे दिया है. JNU में हुई हिंसा के खिलाफ लेफ्ट के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. दीपिका पादुकोण भी उनके प्रदर्शन में शामिल हो गयीं जिससे लोग सोशल मीडिया में उनकी अवसरवादी सोच की आलोचना कर रहे हैं और उनकी आने वाली फिल्म का बायकॉट करने की बातें ट्विटर पर पहले नंबर पर ट्रेंड कर रही हैं.


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अराजकता करने वालों के साथ मंच किया साझा



 


ऊपर दिख रहे वीडियो में कई हिंसक नकाबपोशों के चेहरे नजर आ रहे हैं. ये सभी दीपिका के साथ प्रदर्शन करते भी नजर आए. फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने इस दौरान उन लोगों के साथ मंच साझा जिन लोगों के ऊपर देश खिलाफ नारेबाजी करने का आरोप है. दीपिका पादुकोण के साथ मंच पर कन्हैया कुमार भी दिखाई दिया जिस पर 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह- इंशा अल्लाह' जैसे उग्र और देश को तोड़ने वाले नारे लगाने की जांच चल रही है और उस पर देशद्रोह का मुकदमा भी चल रहा है.  दीपिका पादुकोण के साथ आइशी घोष भी नजर आ रही हैं जिन पर यूनिवर्सिटी का सर्वर रूम तोड़ने और हिंसा करने के लिये पुलिस ने FIR दर्ज की है.


दीपिका को मूल विषय की जानकारी नहीं


जब से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंसा का मुद्दा उठा है तब से दीपिका पादुकोण की ओर से एक भी बयान इस विषय में नहीं आया है. इससे ये स्पष्ट होता है कि उनको JNU मामले के सभी तथ्यों की सही जानकारी नहीं है. संभव है कि उनके आस पास के लोगों ने दीपिका को सलाह दी हो कि फिल्म को प्रमोट करने का ये बेहतर मौका है, इसलिये इस अवसर का फिल्मी फायदा उठाने के लिये हिंसक प्रदर्शनकारियों के साथ मंच साझा करना चाहिये.


राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की कर चुकी हैं वकालत



दीपिका पादुकोण की राजनीतिक समझ का अंदाजा इसी बात से किया जा सकता है कि उन्होंने एक बार बयान दिया था कि वो राहुल गांधी को भारत का प्रधानमंत्री देखना चाहती हैं. ये बात उन्होंने 2010 में एक इंटरव्यू में कही थी. 2010 के अपने एक इंटरव्यू में दीपिका ने कहा था, वो राजनीति के बारे में ज्यादा तो नहीं जानती है लेकिन वो राहु गांधी को भारत का प्रधानमंत्री देखना चाहती हैं. 


राहुल को बताया था देश के लिये उदाहरण


2010 में अपने उसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि राहुल जो कर रहे हैं हमारे देश के लिए कर रहे हैं और एक बेहतर उदाहरण पेश कर रहे हैं. दीपिका की राजनीतिक और वैचारिक समझ अंदाजा इसी बात से लग रहा है. 


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