नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रियल स्टेट से जुड़ी एक कंपनी के डायरेक्टर को कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया हैं. कंपनी डायरेक्टर याचिकाकर्ता पर आरोप है कि रियल स्टेट कंपनी के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए उसने 55 ग्राहको से करीब 150 करोड़ रुपये वसूल किये.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

निर्धारित अवधि के 6 साल बाद भी ग्राहको को फ्लैटों की डिलीवरी नहीं दी गई, बल्कि धोखाधड़ी करते हुए उनसे वसूली गई राशि को अपने निजी रिश्तेदारों और मिलने वालों के बीच बंदरबाट करते हुए कंपनी को घाटे में दिखाया.


जस्टिस अनु मल्हौत्रा ने नई दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित आर्थिक अपराध थाने में दर्ज एफआईआर के संबंध में दायर कि गयी इस अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने के आदेश दिये हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कंपनी डायरेक्टर के पक्ष में 24 नवंबर 2020 को दिये गये अं​तरिम प्रोटेक्शन के आदेश को भी समाप्त करते हुए वापस ले लिया हैं.


अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर याचिकाकर्ता को हिरासत में लिया जाता हैं और उसे किसी भी प्रकार के कीमोथेरेपी सत्र की आवश्यकता होती हैं, तो राज्य सरकार पुलिस सुरक्षा में याचिकाकर्ता कंपनी डायरेक्टर को प्रोस्टेट कैंसर के लिए पर्याप्त कीमोथेरेपी सत्र प्रदान करने की व्यवस्था कराएगी.


55 खरीददारों से हड़पे गए 150 करोड़


याचिकाकर्ता सज्जन सिंह बेनीवाल पर आरोप है कि उसने प्रभु शांति रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर के पद पर रहते हुए 55 से अधिक निर्दोष फ्लैट खरीददारों के साथ धोखाधड़ी करते हुए उन्हे धोखा दिया और उनकी जिंदगी भर की 150 करोड़ से अधिक की गाढ़ी कमाई को ठगा है.


प्रभु शांति रियल एस्टेट के डायरेक्टर के तौर पर याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर से ही दूसरी कंपनियों से लोन लेने का अधिकार था, सज्जन सिंह ने डायरेक्टर के पद पर रहते हुए तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक और मुथुट फाइनेंस कंपनी से PDM HiTech Homes के प्रोजेक्ट को पूर्ण करने के लिए 25-25 करोड़ का लोन प्राप्त किया. लेकिन इसकी जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं की गई.


जांच में यह भी पाया गया कि एयू फाइनेंसर्स प्राइवेट लिमिटेड ने पीडी मेमोरियल धार्मिक और शैक्षिक एसोसिएशन को 5 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया था. इस ऋण के लिए प्रभु शांति रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने एक गारंटर के तौर शामिल होते हुए अपने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट PDM HiTech Homes को ही गिरवी रख दिया. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सज्जन सिंह बेनीवाल प्रभु शांति रियल एस्टेट प्राइवेट में डायरेक्टर के पद पर थे.


पीडी मेमोरियल धार्मिक और शैक्षिक एसोसिएशन द्वारा एयू फाइनेंसर्स के 5 करोड़ का लोन समय पर नहीं चुका पाने पर प्रभु शांति रियल एस्टेट के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की गई. बाद में इस मामले में नेशनल लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त आईआरपी की फोरेंसिक रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा हुआ.


कंपनी घाटे में, सरकार का टैक्स भी नहीं लेकिन करोड़ों का फर्जी भुगतान और वेतन…


याचिकाकर्ता के डायरेक्टर रहते हुए ही प्रभु शांति रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जून 2016 से जून 2018 के बीच भवगती टाइल्स से खरीदी गई. 259.92 लाख की टाइल्स की एवज में कुल 393 लाख का अग्रिम भुगतान किया गया. जून 2016 से जून 2018 की अवधि के दौरान HRKH Builders Pvt. Ltd से 125.24 लाख रुपये के फर्जी बिल जुटाए गये.


जांच में सामने आया कि कंपनी की ओर से निदेशकों को उनके मासिक पारिश्रमिक के रूप में रुपये वर्ष 2016-17 के दौरान प्रति माह 13.90 लाख और 2017-18 के दौरान प्रति माह 8.51 लाख रुपये का भुगतान कर रही थी. अज़ीब बात ये थी कि इसी अवधि के दौरान वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी को 1 करोड़ 91 लाख का घाटा दर्शाया गया. इसके साथ ही जून 2016 से जून 2018 के दौरान 169.16 लाख रुपये मजदूरी के और 234 लाख रुपये की रोड़ी खरीद के फर्जी और संदिग्ध भुगतान दर्शाया गया.


लेकिन इसी अवधि के दौरान कंपनी की ओर से सरकार को अदा किये जाने वाले टैक्स और डयूटी के कुल 74 लाख रुपये अदा नहीं किये गये. कंपनी ने पीएफ खाते के 4.80 लाख, ईएसआईसी के 10 लाख और टीडीएस के 68 लाख रुपये से अधिक की राशि का भुगतान ही नहीं किया. यहां तक कि कंपनी की ओर से स्टॉक रजिस्टर का रखरखाव तक नहीं किया गया. जिससे स्टॉक और कच्चे माल की आवक और जावक के बारे में वास्तविक स्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता था.


फ्लैट खरीददारों ने किया जमानत का विरोध


वहीं इस मामले में शिकायतकर्ता फ्लैट खरीददारों की ओर से अदालत में जमानत याचिका का विरोध किया गया. शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इस मामले में शामिल आरोपी याचिकाकर्ता और उसके साथ जुड़े व्यक्तियों ने सामूहिक रूप से मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के घर खरीदारों के समूहों से लगभग 150 करोड़ रुपये और बैंकों से 85 करोड़ रुपये का गबन किया हैं.


इसके लिए याचिकाकर्ता ने योजनाबद्ध और संरचित तरीके से धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात किया है और जांच एजेंसी को छिपे हुए बैंक खातों का पता लगाने / आरोपी व्यक्तियों द्वारा हड़पे गये धन, सामग्री और माल के सूची रिकॉर्ड का पता लगाने की जरूरत है.


शिकायतकर्ताओं ने कहा कि इस मामले की गहन जांच के लिए डायरेक्टर सज्जन सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ किया जाना आवश्यक है. शिकायतकर्ताओं ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता निदेशक मंडल और सह-साजिशकर्ता होने के नाते सभी आपराधिक साजिश और हड़पने वाले रुपयों की बातों से पूरी तरह से अवगत था. ऐसे में सभी साजिशों का खुलासा तभी हो सकता है जब इस मामले की जांच गहनता से हो.


प्रोस्टेट कैंसर को लेकर भी शिकायतकर्ताओं ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी बीमारी से उबर चुका है, अप्रैल 2019 में द्विपक्षीय ऑर्किडेक्टोमी से गुजरा था और कीमोथेरेपी केवल किसी भी अवशेष को खत्म करने के लिए थी जिसके लिए उसने बूस्टर खुराक ली थी.


हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत..


हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आशियाने के लिए अपने जीवनभर की मेहनत की कमाई का निवेश करने वाले निर्दोष फ्लैट खरीदारों के साथ ठगी की गई है. और ठगने की प्रक्रिया में शामिल याचिकाकर्ता के तरीके को इस स्तर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.


इसलिए याचिकाकर्ता डायरेक्टर और उनके सहयोगी व्यक्तियों के बीच हुई इस साजिश का पता लगाने, निर्दोश आम जनता से ठगी गई राशि की वसूली और भौतिक दस्तावेजों की जब्ती के लिए आवश्यक है कि कंपनी निदेशक के तौर पर जिम्मेदार याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यक्ता जरूर होगी.


इसे भी पढ़ें- SIT की जांच से क्यों नहीं संतुष्ट है सिद्धू मूसेवाला का परिवार? जानिए अब तक का सारा अपडेट


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.