Ground Report : मिट्टी के दीये की डिमांड बढ़ी, चीन को होगा 50 हजार करोड़ का नुकसान
दिल्ली के उत्तम नगर की बाजार दीपावली के लिए दीयों की खरीदारी करने वालो से पटी हुई है. दीये खरीदने के लिए लोगों की भीड़ भी ऐसी जो कई वर्षो बाद देखी गयी है.
नई दिल्ली: रौशनी का त्यौहार दीपावली जिसका नाम ही दीपों से पड़ा था, उसमें बीते कुछ वर्षों में चीनी लाइटों और झालरों ने घुसपैठ कर ली थी, लेकिन पिछले साल से सरहद पर चीन की चालबाज़ियों के कारण लोगों ने आत्मनिर्भर भारत और Vocal for Local को बढ़ाने का संकल्प लिया है.
इसका असर इस साल दीपावली के त्यौहार में भी दिख रहा है जब दिवाली में मिट्टी के दीये की वापसी होती दिख रही है.
लोग अब चीनी झालर को कह रहे न
दिल्ली के उत्तम नगर की बाजार दीपावली के लिए दीयों की खरीदारी करने वालो से पटी हुई है. दीये खरीदने के लिए लोगों की भीड़ भी ऐसी जो कई वर्षो बाद देखी गयी है.
दिल्ली में रहने वाली ललिता अरोड़ा के मुताबिक बचपन ने वो दीपावली दीयों के सहारे ही मनाती थीं लेकिन बच्चो की जिद्द और सस्ती होने के कारण कुछ सालों से उनका परिवार दीपावली पर चीनी झालरों से अपना घर रौशन करता था.
पर इस साल उन्होंने संकल्प लिया है चीन को आर्थिक जवाब देने का जिस कारण इस साल सिर्फ उनके घर मे मिट्टी के दीये के सहारे ही घर को रौशन करा जाएगा जिससे उनका घर भी रौशन हो और चीन को भी मुहतोड़ जवाब दिया जा सके.
क्या कहते हैं दिल्ली के दुकानदार
उत्तम नगर में मिट्टी के सामान की दुकान चलाने वाले व्यापारी राजीव कुमार के मुताबिक इस साल जो लोगों की भीड़ मिट्टी के दीये लेने आ रही है वो सच मे अद्भुत है. मिट्टी के दीये की डिमांड इतनी है कि दुकानदार पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं.
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राजीव कुमार ने सोचा था कि ज्यादा से ज्यादा इस साल चीन के सामान के बहिष्कार की वजह से डिमांड पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना बढ़ेगी लकिन दीपावली आते आते मिट्टी के दियों की डिमांड ने रिकॉर्ड को तोड़ दिया और जितने मिट्टी के दीये उन्होंने साल 2019 और 2020 में कुल मिलाकर बेचे थे उससे ज्यादा तो अकेले इस साल दीपावली से पहले बेच चुके हैं.
संकल्प है स्वदेशी
दिल्ली का उत्तमनगर क्योंकि मिट्टी के सामान का एक प्रसिद्ध और बड़ा बाजार है तो यहाँ दीपावली के लिए डिज़ाइनर दीये लेने लोग दूर दराज से भी आ रहे हैं. गुरुग्राम में रहने वाले राजेश 22 किलोमीटर दूर का सफर तय करके सिर्फ दिल्ली के उत्तम नगर में मिट्टी के डिज़ाइनर दीये लेने आये हैं ताकि वो पिछले साल लिए गए अपने चीनी माल का बहिष्कार करने और स्वदेशी कारीगर की मदद करने के संकल्प को पूरा कर सकें.
राजेश के मुताबिक दीपावली तो दीपों का ही त्यौहार था वो तो हम भारतीयों की गलती थी जो हैं चीनी लाइटोंब और झालरों के चक्कर में पड़ गए, लकिन अब भारतीय फिर से दीयों की तरफ बढ़ रहे हैं.
कुम्हार भी खुश
दीपों के पर्व दीपावली में दीप की वापसी से सबसे ज्यादा फायदा कुम्हारों को हो रहा है जो मिट्टी के दीयों को बनाते है. दिल्ली के उत्तमनगर की कुम्हार कॉलोनी में बीते 19 वर्षो से दीये बनाने वाले कुम्हार मामराज बताते हैं कि इस साल मिट्टी के दीयों की डिमांड इतनी ज्यादा है कि व्यपारी उनके घर पर दीये खरीदने आ रहे हैं और आर्डर भी इतने ज्यादा है कि उन्हें पूरे परिवार के साथ मिलकर 18-19 घण्टे दीये बनाने पड़ रहे हैं. एक दशक के बाद दीयों की डिमांड में इतना उछाल आया है.
मिट्टी के दियों की डिमांड बढ़ने के अलावा कुम्हार को मिलने वाली उसकी कीमत में भी इस साल दोगुनी से ज्यादा बढ़त हुई है. उत्तमनगर में ही दीये बनाने का काम करने वाले राजकुमार के मुताबिक पिछले साल 1 हज़ार मिट्टी के दियों की कीमत 200 से 250 रुपये के बीच थी लेकिन इस साल इतने ही दीये 600, 700 या 900 तक बिक रहे हैं.
CAIT का 20 शहरों में सर्वे
देश भर के व्यापारियों की संस्था Confederation of All India Traders (CAIT) के भारत के 20 बड़े शहरों में कराये गए सर्वे के मुताबिक इस साल दीपावली पर स्वदेशी दीपावली के चलते चीन को 50 हज़ार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है.
CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक इस वर्ष CAIT ने सभी व्यापारियों से आह्वान किया था कि दीपावली पर हर दुकानदार अपनी दुकान में मिट्टी के दीये जरूर रखें और चीनी सामान बिल्कुल भी न बेचें क्योंकि जब बाजार में चीनी सामान होगा नहीं तो लोग मिट्टी के दीये ही खरीदेंगे.
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