Earthquake: आखिर क्यों दिल्ली में लगातार आ रहे हैं भूकंप के झटके, जानें क्या है इसका कारण
Delhi Earthquake: दिल्ली में मंगलवार की रात जब लोग अपने-अपने घरों में सोने की तैयारी कर रहे थे तभी भूकंप के झटकों ने पूरे उत्तर भारत को हिला दिया. पहले तो लगा कि ये भूकंप आकर चला जाएगा लेकिन जब इस भूकंप के झटकों से कुछ देर तक धरती हिलती रही तो खौफजदा लोग अपने घर छोड़कर सड़कों पर उतर आये.
Delhi Earthquake: दिल्ली में मंगलवार की रात जब लोग अपने-अपने घरों में सोने की तैयारी कर रहे थे तभी भूकंप के झटकों ने पूरे उत्तर भारत को हिला दिया. पहले तो लगा कि ये भूकंप आकर चला जाएगा लेकिन जब इस भूकंप के झटकों से कुछ देर तक धरती हिलती रही तो खौफजदा लोग अपने घर छोड़कर सड़कों पर उतर आये. लोगों में थोड़ा पैनिक का माहौल भी बना लेकिन आखिरकार भारत में बिना कोई जान-माल के नुकसान के चीजें टल गई. कुछ देर पता चला कि इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदूकुश की पहाड़ियों से करीब 180 किमी दूर था और इस भूकंप की तीव्रता करीब 6.6 रही.
भारत में भले ही इससे नुकसान नहीं हुआ लेकिन पाकिस्तान के कई शहरों में इस भूकंप ने तबाही मचाई है और इसके चलते अब तक 10 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल होने की रिपोर्ट मिली है. यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किये गये हैं. हिंदूकुश से लेकर तिब्बत के पठार और नेपाल के हिमालयी इलाकों में हर साल हजारों भूकंप आते हैं, ऐसे में सवाल यह है कि अचानक से इन भूकंप के झटकों में इतनी तेजी क्यों आ गई है और दिल्ली इससे कितनी सुरक्षित या खतरे में हैं.
इस वजह से आ रहे हैं लगातार भूकंप
भूकंप के झटके लगातार आने के पीछे का कारण है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट (Indian Tectonic Plate) लगातार यूरोशियन (Eurasian) और तिब्बत प्लेट (Tibetan Plate) की जमीन को धक्का दे रही है और इसे दबा रही है. हम सभी जानते हैं कि जब भी जमीन के अंदर की ये टेक्टॉनिक प्लेट टकराती या रगड़ खाती हैं तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं लेकिन भारत में आपदा तब आएगी जब यूरोप और चीन की ये जमीन वापस भारतीय प्लेट को धक्का देगी. उल्लेखनीय है कि धरती की पहली परत 5 से 70 किलोमीटर की गरहाई की है और यह सबकुछ ठीक उसी के नीचे हो रहा है. हालांकि अफगानिस्तान में आया भूकंप 180 किमी गहराई का है जिसका मतलब है कि ऊपरी परत से दोगुना नीचे. इससे साफ है कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट ने यूरोशियन या फिर तिब्बतन प्लेट को टक्कर दी है या फिर उन दोनों प्लेट में से किसी ने इंडियन प्लेट को दबाया है.
हजारों भूकंपीय फॉल्ट्स लाइन से घिरा है भारत
अर्थ विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार पूरे यूरोप और एशिया में सबसे ज्यादा फॉल्ट लाइन्स हिमालय और हिंदूकुश में हैं जिसके चलते पाकिस्तान से लेकर भारत के उत्तर-पूर्व के राज्यों तक हिमालय की पूरी बेल्ट में भूकंप का आना एक आम बात है. ज्यादा भूकंप के आने का मतलब है कि टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच का दबाव कम हो रहा है. कुछ समय पहले ही इन टेक्टोनिक प्लेट्स का नया नक्शा रिलीज किया गया है जिसमें हिमालय के आस-पास के इलाकों में हजारों फॉल्ट लाइन्स नजर आ रही हैं और एक झटका भी पूरे भारत में तबाही मचाने के लिये काफी है.
भारतीय टेक्टोनिक प्लेट हर साल चीन से जुड़ी तिब्बतन प्लेट को करीब 15 से 20 मिलीमिटर धकेल रही है, ऐसे में जब इतना बड़ा टुकड़ा दूसरे बड़े टुकड़े को धकेलेगा तो इससे पैदा होने वाली ऊर्जा हिमालय की पहाड़ियों में जमा हो रही है.
सुपरकॉन्टीनेंट बनने की ओर बढ़ रहे सारे महाद्वीप
वैज्ञानिकों की एक थ्योरी के अनुसार दुनिया में एक दिन ऐसा आने वाला है जब सारे महाद्वीप अलग-अलग होने के बजाय एक साथ मिल जाएंगे और मिलकर एक सुपरकॉन्टीनेंट बनाएंगे. हालांकि ऐसा होने में करोड़ों सा का समय लगना है और तब तक इंसानों का जीवित रहना भी अलग सवाल है. मौजूदा समय में हिमालय की पहाड़ियों में टकराव के चलते काफी ऊर्जा जमा है और अगर ये धीरे-धीरे रिलीज होती रही तो अच्छा है नहीं तो एकसाथ पूरी ऊर्जा के बाहर निकलने पर भयानक तबाही आएगी. अगर ऐसा होता है तो भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल समेत कई एशियाई देश इस ऊर्जा को झेल नहीं पाएंगे.
दिल्ली के लोग कितने सुरक्षित
दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो ये भूकंप के चौथे और पांचवे जोन में स्थित है जो कि डेंजर एरिया में आता है. ऐसे में अगर यहां पर रिएक्टर स्केर पर 5 की तीव्रता से भूकंप आता है तो न सिर्फ दिल्ली बल्कि 500 किमी के एरिया तक इसका बड़ा प्रभाव देखन को मिलेगा. दिल्ली-एनसीआर में भूकंप रोधी घर बनाने के अलावा अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने की भी जरूरत है, इससे लोगों को घरों से बाहर निकलने और सुरक्षित जगह पर जाने में मदद मिलेगी.
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