वन भूमि की जमीन पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं, अरावली से खाली कराएं 10 हजार घरः सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि वह फरीदाबाद नगर निगम से पूछेगी कि उसके फरवरी के आदेश के बाद जून 2021 तक अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा के अरावली वन क्षेत्र के लक्कड़पुर-खोरी गांव में बने लगभग 10,000 घरों को हटाने का आदेश दिया. जस्टिस ए. एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने कहा, हमने फरवरी 2020 में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, क्योंकि यह वन भूमि का अतिक्रमण है और इसे खाली करना होगा.
निगम से भी सवाल जवाब
पीठ ने कहा कि वह फरीदाबाद नगर निगम से पूछेगी कि उसके फरवरी के आदेश के बाद जून 2021 तक अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया. पीठ ने कहा कि जहां तक वन भूमि का संबंध है, नीति को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. इसने कहा कि राज्य उन्हें समायोजित करना चाहता है या नहीं, यह उन पर निर्भर है.
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कोई रियायत नहीं दी जा सकती
पीठ ने नगर निगम का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा कि वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के उसके आदेश का आज तक पालन क्यों नहीं किया गया? वकील ने बताया किया कि क्षेत्र के लोग आगे अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहे थे. पीठ ने दोहराया कि वन भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में कोई रियायत नहीं दी जा सकती है.
शीर्ष अदालत हरियाणा के फरीदाबाद में खोरी गांव बस्ती के निवासियों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें क्षेत्र में लगभग 10,000 घरों के प्रस्तावित विध्वंस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पुनर्वास नीति को चुनौती देते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दायर की गई थी.
पीठ ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि आप खुद परिसर खाली करना सुनिश्चित करें, ताकि निगम को आपको हटाने को लेकर खर्च न करना पड़े और यदि आप चाहते हैं कि आपकी याचिका पर विचार किया जाए तो कानून का पालन करने वाला नागरिक बनें.पीठ ने कहा कि भूमि हथियाने वाले कानून के शासन की शरण नहीं ले सकते और राज्य सरकार को लोगों को वन भूमि से हटाने और सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए रसद सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने कहा- सॉरी
गोंजाल्विस ने कहा कि ऐसा करने से कोविड महामारी के दौरान, लोग तितर-बितर हो जाएंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि निवासी गरीब लोग हैं.पीठ ने जोर देकर कहा कि लोगों को वन भूमि को शांतिपूर्वक खाली करना चाहिए. पीठ ने कहा, माफ कीजिए (सॉरी), हम साफ-साफ सॉरी बोल रहे हैं.. ऐसे तो वन भूमि पर कोई और कब्जा हो जाएगा. पहले भूमि मुक्त होनी चाहिए. यह वन भूमि के बारे में है और यह अधिक महत्वपूर्ण है.
बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से घरों को हटाने पर रोक लगाने की मांग किए जाने पर यह टिप्पणी की.पीठ ने कहा कि निगम को वन भूमि पर सभी अतिक्रमणों को छह सप्ताह के भीतर हटा देना चाहिए और हरियाणा वन विभाग के मुख्य सचिव और सचिव के हस्ताक्षर के तहत अनुपालन की रिपोर्ट देनी चाहिए. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की है.
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