प्रयागराज: उर्दू साहित्य के मशहूर शायर व लेखक शम्‍सुर्रहमान फारूकी (Shamsur Rahman Faruqi) ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. 25 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे फारूकी ने आखिरी सांस ली. फारूकी का निधन 85 वर्ष की उम्र में हुआ. फिलहाल व अपने प्रयागराज स्थित आवास में रह रहे थे. जैसे ही फारूकी की मौत के निधन की खबर सामने आई है साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई. बता दें कि पिछले महीने 23 नवंबर को  कोरोना को मात देकर वापस घर लौटे थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें-केंद्रीय मंत्री Ravishankar Prasad की मां का निधन, शनिवार को होगा अंतिम संस्कार.


उर्दू साहित्य को फारूकी ने दिया नया आयाम
हर आम इंसान की तरह फारूकी (Shamsur Rahman Faruqi) ने अपने करियर की शुरुआत नौकरी से की जिसके बाद वह इलाहाबाद में शबखूं पत्रिका के संपादक के तौर पर काम किया. शुरुआत से ही फारूकी को लिखने में दिलचस्पी थी जिस वजह से वह लिखते चले गए. उन्होंने गालिब अफसाने के हिमायत में, उर्दू का इब्तिदाई, कई चांद और थे सरे आसमां लिखा. उनका कई चांद थे सरे आसमां प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है और इस किताब का इंग्लिश संस्करण 2013 में मिरर ऑफ ब्यूटी नाम से प्रकाशित किया गया.


किए जा चुके हैं कई सम्मान से सम्मानित
फारूकी (Shamsur Rahman Faruqi) को उनके उर्दू साहित्य में दिए गए योगदान के लिए कई सम्मान से नवाजा गया है. साल 1986 में समालोचना तनक़ीदी अफकार लिखने के लिए फारूकी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके बाद साल 1996 में उन्हें अठारहवीं शताब्दी के प्रमुख कवि मीर तकी मीर पर किए गए अध्ययन के लिए सरस्वती सम्मान से नवाजा गया. इसके साथ ही देश के सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से भी साल 2009 में सम्मानित किया जा चुका है.


ये भी पढ़ें-PM मोदी ने किसानों के भ्रमजाल को तोड़ा, कृषि कानूनों की उपलब्धियां गिनाई.


फारूकी का जीवनकाल
फारूकी  (Shamsur Rahman Faruqi) का जन्म 30 सितंबर, 1935 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था और उन्होंने वहीं से अपनी शिक्षा पूरी की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से फारूकी ने इंग्लिश में मास्टर्स की डिग्री हासिल कर 1960 से लिखना शुरू किया. उन्होंने कुछ समय के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया में बच्चों को भी पढ़ाया. लेकिन बाद में उन्होंने उर्दू साहित्य पर ही अपना सारा ध्यान केंद्रित कर लिया है. 16वीं सदी में विकसित हुई उर्दू  “दास्तानगोई” यानी उर्दू में कहानी सुनाने की कला को एक बार फिर से जीवित करने के लिए भी फारूकी को जाना जाता है. 


देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप, जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-


Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN


iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234