Farmers Protest: ये तो `आउटर रिंग रोड` पर कब्जे का सीक्रेट प्लान है!
आखिर 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च प्लान में ऐसा सीक्रेट है, जिसे किसान नेता सरकार और दिल्ली पुलिस से किसी भी हाल में साझा करना नहीं चाहते हैं?
नई दिल्ली: हरियाणा-यूपी से लगे दिल्ली के छह बॉर्डर पर पिछले 55 दिनों से किसानों की घेराबंदी है. सिंघु बॉर्डर पर तो 40 किलोमीटर तक गांव सा बस चुका है. पक्का कंस्ट्रक्शन चालू है. बोरिंग तक खोद ली गई. 7 जनवरी को ट्रैक्टर रैली का रिहर्सल किया गया.तभी दो टूक कह दिया गया कि 2024 तक दिल्ली घेराबंदी की तैयारी है. कानून वापसी के बिना पीछे नहीं हटेंगे किसान. और अब 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड की जिद. दावा ये कि सुप्रीम कोर्ट तो क्या भगवान भी ट्रैक्टर मार्च को नहीं रोक पाएंगे.
'कैपिटल हिल' कांड की आशंका में दिल्ली?
तभी तो आशंकाएं गहरा रही हैं कि अन्नदाता आंदोलन की आड़ में क्या अब दिल्ली (Delhi) के आउटर रिंग रोड पर कब्जे की तैयारी है? क्या ये आउटर दिल्ली को अगला सिंघु बॉर्डर बनाने की तैयारी है? या फिर दिल्ली को बंधक बनाने का सीक्रेट प्लान है? सवाल तो ये है कि क्या ट्रैक्टर मार्च की आड़ में दिल्ली में कैपिटल हिल कांड दोहराने की तैयारी है? और ये जिद क्या दिल्ली पर आतंकी हमले (Terrorist attack) का खतरा नहीं बढ़ा रही है?
ये सारे सवाल इसलिये हैं क्योंकि अन्नदाता आंदोलन में घुसपैठ कर चुका खालिस्तानी गैंग यही चाहता है. और कुछ किसान नेताओं का दोहरा रवैया उस पर मुहर लगाता दिख रहा है.
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गणतंत्र पर 'गदर' की तैयारी में ट्रैक्टर मार्च?
दिल्ली के आउटर रिंग रोड के नक्शे पर गौर करने पर कोई भी समझ सकता है कि 50 किलोमीटर का ये गोल दायरा पूरे दिल्ली शहर को अपने अंदर समेटता है.
साफ है आउटर रिंग रोड पर कब्जे का मतलब है नई दिल्ली की पक्की घेराबंदी.दिल्ली की सड़क, दिल्ली की मेट्रो, दिल्ली के हवाई अड्डे तक पहुंच. यानी देश की राजधानी को पूरी तरह ठप करने का सबसे आसान इंतजाम. और टैंक-बख्तरबंद की तरह बनाए गए ट्रैक्टरों का कब्जा अगर आउटर रिंग रोड पर होता है तो फिर हिंसक झडप की आशंकाओं से कैसे इनकार किया जा सकता है?
नवंबर (November) में प्रदर्शनकारी किसानों के पंजाब से दिल्ली कूच करने की हंगामेदार तस्वीरें याद हैं ना. जब पंजाब से हरियाणा में एंट्री के साथ पुलिस से किसान प्रदर्शनकारियों का सीधा टकराव दिखा. हरियाणा के अंबाला में तो पुलिस को पीछे धकेल रास्ते में लगे बैरिकेड्स घग्घर नदी में फेंक दिये गए.
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर तक पहुंचते-पहुंचते प्रदर्शनकारियों में पथराव का जोश भी उफान भरता दिखा. और हंगामे को रोकने में जुटे पुलिसवालों पर ट्रैक्टर चढ़ाने का खतरनाक इरादा भी दिख गया.
सरकार को सबक सिखाने का एलान तो शुरू से ही सिंघु बॉर्डर पर गूंजता रहा, जहां सिख प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा है. वहीं गाजीपुर बॉर्डर से साल 2024 तक सरकार की घेराबंदी की धमकी लगातार दी गई.
हरियाणा (Haryana) सरकार के किसान महापंचायत में हिंसा हंगामा और तोड़फोड़ की तस्वीरें भी देश ने देखी. और जनवरी शुरू होते होते ट्रैक्टर को टैंक बनाने का खेल भी दिख गया. खालिस्तानी गैंग की हिन्दुस्तान तोड़ने साजिश और प्रदर्शनकारी किसानों को मोटे इनाम के लालच का उकसावा भी दुनिया ने सुन लिया.
7 जनवरी थी रिहर्सल, 26 जनवरी को 'फाइनल'!
7 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च से आउटर दिल्ली के घेराबंदी की रिहर्सल भी की जा चुकी है. ऐसे में दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च के इरादे पर आशंकाएं इसलिये भी गहरा रही हैं...क्योंकि एक ओर अन्नदाता आंदोलन की अगुवाई कर रहा संयुक्त किसान मोर्चा ये दावा कर रहा है कि 26 जनवरी का ट्रैक्टर मार्च शांतिपूर्ण रहेगा. तो वहीं दूसरी ओर वही किसान नेता 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च का पूरा प्लान दिल्ली पुलिस से साझा करने को तैयार नहीं हैं.
सवाल ये है आखिर 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च प्लान में ऐसा सीक्रेट है, जिसे किसान नेता सरकार और दिल्ली पुलिस से किसी भी हाल में साझा करना नहीं चाहते हैं?
अगर ऐसा है, तो दिल्ली की घेराबंदी कर सरकार को झुकाने का सीक्रेट प्लान यकीनन खतरनाक साबित हो सकता है. ये लोकतंत्र के हित में कतई नहीं है. सुप्रीम कोर्ट भी इस आशंका को समझ रहा है, इसीलिये इस पर आखिरी फैसला लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस पर छोड़ रहा है.
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