नई दिल्ली: एवरी डार्क क्लाउड हैज़ ए सिल्वर लाइनिंग. हर बुरी खबर में एक अच्छी खबर भी छुपी होती है - ये बात आज कोरोना के दुनियावी कोहराम के बीच हिन्दुस्तान में सच होती नज़र आ रही है. इनको हम कह सकते हैं कोरोना वायरस को लेकर भारत के लिए ये हैं राहत की पांच बड़ी वजहें.


डेटा से मिले सकारात्मक


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कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत्यु दर हर देश में अलग-अलग है. जैसा देखा जा रहा है, कोरोना वायरस से मौत की दर उम्र, धूम्रपान और बीमारियों जैसे तथ्यों पर भी निर्भर करती है. कोरोना संक्रमण से मरने वालों की वैश्विक दर 0.2 फीसदी से लेकर 15 फीसदी के बीच है.


वहीं भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के ढाई हज़ार के लगभग मामले सामने आये हैं और 69 मौतें भी हुई हैं. कोरोना पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में अभी तक मिले कोरोना-डेटा से बहुत से सकारात्मक संकेत प्राप्त हो रहे हैं तो भी अभी कोई अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी.


भारत की इम्युनिटी बेहतर है


स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो भारत की सत्तर प्रतिशत से अधिक आबादी तमाम बैक्टीरिया, पैरासाइट्स और वायरसों के संपर्क में जीवन गुजार रहे हैं. इस कारण इन भारतीयों के शरीर में टी-सेल्स का निर्माण हो चुका है. ये टी-सेल्स इम्युनिटी के वाहक हैं जो विदेशी वायरसों से भी लड़ने में सक्षम होते हैं. यहां एक और अहम तथ्य ये भी है कि टीबी, एचआईवी और मलेरिया जैसी बीमारियों ने भारत और अफ्रीका सहित कई गरीब देशों में बहुत आम बीमारियां हैं और अगर यूरोप और उत्तर अमेरिकी देशों से इनकी तुलना की जाए तो वहां इन बीमारियों का प्रकोप कम है.


मलेरिया की दोनों दवाएं भारत में कारगर


अमेरिका ने सबसे पहले ये बात उठाई थी जिसे अब कई दूसरे देशों से सहमति प्राप्त हो चुकी है, वो ये कि कोरोना वायरस से लड़ने में क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन ड्रग प्रभावी हो सकती है. ये सर्वविदित है कि भारत में कम्युनिटी स्तर पर इन दवाइयों का हमेशा से इस्तेमाल होता रहा है. भारत में कोरोना वायरस की रोकथाम में ये फैक्टर भी प्लस पॉइन्ट साबित हो सकता है.


एचएलए जीन्स की भूमिका अहम


एचएलए जीन्स कोरोना से जंग में सिपाही की भूमिका में है. एचएलए जीन्स को सामूहिक तौर पर ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजेन सिस्टम या एचएलए जीन्स कहा जाता है. भारतीय आबादी में एचएलए जीन्स की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. ये जीन्स इम्यून सिस्टम के सामने हमलावर विदेशी एंटीजेन्स को लाता है.


सैनिकों की तरह लड़ने वाली टी-सेल्स अपने बचाव के काम को तब ही अंजाम दे पाती हैं जब उनके सामने रोगाणुओं को एचएलए जीन्स अच्छी तरह से एक साथ सामने ले कर आती हैं.  दूसरे शब्दों में, टी-सेल्स के इन रोगाणुओं का मुकाबला करने के पूर्व इनका एचएलए जीन्स से बने कंपाउंड से जुड़ना जरूरी है. शरीर में ऐसे कंपाउंड नहीं बन पाने से टी-सेल्स बेअसर हो जाते हैं.


भारतीयों के जीन्स में विविधता


भारतीय आबादी में ये विशेषता कोरोना के खिलाफ जाती है कि भारतीयों में एचएलए की जेनेटिक विविधता ज्यादा है. ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के डॉक्टर्स ने विविध जीन्स को लेकर किये जारहे शोध में पाया है कि भारतीय आबादी में एचएलए जीन्स में विभिन्नताएं पाई जाती हैं.


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भारत के लोगों के जीन्स की यह विविधता दूसरे देशों में अर्थात दूसरे नस्लीय समूहों में आम-तौर पर मौजूद नहीं है. एचएलए के जीन्स की ये विविधता वायरस के आक्रमण को कमजोर कर सकती है जो भारत के पक्ष में जाती है 


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