नई दिल्लीः  देश में कोविड-19 के भीषण प्रकोप वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) के सरकारी गोदामों में प्राकृतिक आपदाओं और परिचालन से जुड़े कारणों से अनाज की बर्बादी करीब 90 फीसद बढ़कर 1,824.31 टन पर पहुंच गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आरटीआई से मिली जानकारी
नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सोमवार को बताया कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दायर अर्जी पर उन्हें एफसीआई ने यह जानकारी दी है. आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने इस अर्जी में एफसीआई और सीडब्ल्यूसी के सरकारी गोदामों में अनाज के सड़ने और बर्बाद होने के बारे में सवाल किए थे.गौड़ को आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2019-20 में एफसीआई और सीडब्ल्यूसी के गोदामों में कुल 959.65 टन अनाज नष्ट हुआ था.


आंकड़े हैरान करने वाले
सरकारी गोदामों में अनाज की बर्बादी के ये आंकड़े ऐसे वक्त सामने आए हैं, जब भारत 116 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) 2021 में नीचे लुढ़क कर 101वें स्थान पर आ गया है, जो 2020 में 94वें स्थान पर था. जीएचआई की इस फेहरिस्त में भारत अब अपने पड़ोसी देशों-पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पिछड़ गया है.


आरटीआई से गौड़ को यह भी पता चला कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जुलाई के बीच प्राकृतिक आपदाओं और परिचालन से जुड़े कारणों से एफसीआई और सीडब्ल्यूसी के गोदामों में कुल 319.36 टन अनाज बर्बाद हो गया.


मामला बेहद गंभीर है
इस बीच, भोजन का अधिकार अभियान से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता वंदना प्रसाद ने सरकारी गोदामों में अनाज की बर्बादी के आंकड़ों पर रोष जताते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और खाद्यान्न के नष्ट होने से मानव अधिकारों का हनन होता है.


प्रसाद, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सदस्य (बाल स्वास्थ्य) भी रह चुकी हैं. उन्होंने कहा, ‘सरकारी गोदामों में पिछले कई दशकों से बड़ी मात्रा में वह अनाज बर्बाद हो रहा है जिसे गरीब नागरिकों, खासकर बच्चों के पेट में पहुंचना चाहिए था. जाहिर है कि ये गोदाम अनाज को सुरक्षित रखने के पैमानों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं.’


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.