तिरुवनंतपुरमः केरल राज्य कैबिनेट ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को 1.3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है. तिरुवनंतपुरम सब कोर्ट में नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर मामले का निपटारा करने के लिए यह मुआवजा मंजूर किया गया है.दरअसल नारायणन के खिलाफ 1994 में दो कथित मालदीव के खुफिया अधिकारियों को रक्षा विभाग से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगा था. नारायण को इस मामले में गिरफ्तार भी किया था और जहां उन्हें काफी यातनाएं दी गईं.


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मामले को बताया फर्जी
मामले की जांच के दौरान नारायणन को 50 दिनों तक हिरासत में रखा गया था. उनका आरोप है कि हिरासत के दौरान उन्हें काफी यातनाएं दी गई थीं. इस मामले में सीबीआई ने अप्रैल 1996 में चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट की अदालत में फाइल एक रिपोर्ट में बताया था कि यह मामला फर्जी है और आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं हैं. कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया था. 



इसरो जासूसी केस में गिरफ्तार सभी आरोपियों को रिहा कर दिया था.


 


न्यायिक जांच का दिया था आदेश
अप्रैल 2017 में नारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की कि उन्हें गलत केस में फंसाया गया था. इसके बाद पुलिस अधिकारियों पर सुनवाई शुरू हुई थी. 14 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्पीड़न का शिकार हुए इसरो वैज्ञानिक नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. कोर्ट ने इस मामले में एक जूडिशल जांच का भी आदेश दिया था.


गिरफ्तारी के समय को याद करते हुए नारायणन ने कुछ महीने पहले एक मीडिया बातचीत में बताया था कि कैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा था, 'सर, हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. आप जो कह रहे हैं अगर वह सही होगा तो आप मुझे अपनी चप्पल से पीट सकते हैं. दो दशक बीतने के बाद भी नारायणन को वह बात याद है.