नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में गिरफ्तार किये जाने के एक साल से अधिक समय बाद महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बुधवार को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख (73) का उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुंबई के आर्थर रोड जेल से शाम लगभग 4.45 बजे बाहर आने पर स्वागत किया.


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जेल से बाहर आते ही अनिल देशमुख क्या बोले?
बम्बई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें जमानत देने संबंधी अपने आदेश पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया था. अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल सहित राकांपा के वरिष्ठ नेताओं ने जेल के बाहर उनका स्वागत किया.



देशमुख ने कहा, 'मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. मुझे एक झूठे मामले में फंसाया गया है.' बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे का जिक्र करते हुए देशमुख ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई ने एक अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ मामले दर्ज किए.


कहा- परमबीर सिंह के आरोप भी झूठे निकले
दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के निकट एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री बरामद होने के मामले में वाजे का नाम आया था. देशमुख ने कहा, 'यह बहुत दुख की बात है कि सिर्फ वाजे के आरोपों के कारण, मुझे जेल में समय बिताना पड़ा. वह अब हत्या के दो मामलों में गिरफ्तार है. (सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी) परमबीर सिंह के आरोप भी झूठे निकले.'


देशमुख को ईडी ने पहली बार दो नवंबर, 2021 को एक कथित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था. यह 21 अप्रैल, 2021 को एक कथित भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट पर आधारित था. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य दिया था.


6 अप्रैल को सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था, लेकिन वह राज्य के गृह मंत्री के पद से हट गए थे, क्योंकि बम्बई उच्च न्यायालय ने सीबीआई को उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया था. सीबीआई ने छह अप्रैल, 2022 को देशमुख को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था और 12 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर को राकांपा नेता को धनशोधन मामले में जमानत दे दी थी.


न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक ने सीबीआई मामले में राकांपा नेता को 12 दिसंबर को जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए समय मांगा था और अदालत ने आदेश पर 10 दिन के लिए रोक लगा दी थी. जांच एजेंसी ने न्यायालय का रुख किया, लेकिन उसकी अपील पर जनवरी 2023 में ही सुनवाई हो सकेगी, क्योंकि अदालत में शीतकालीन अवकाश है.


उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह सीबीआई के अनुरोध पर जमानत आदेश पर रोक को 27 दिसंबर तक बढ़ा दिया था. जांच एजेंसी ने मंगलवार को एक बार और रोक बढ़ाने का अनुरोध किया था.
(इनपुट: भाषा)


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