नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कई नए एम्स बनाने का वादा किया था. इसी सिलसिले में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में साल 2017 में एम्स की नींव रखी गई थी और 2019 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था. कोविड-19 के दौरान काम में देरी हुई, लेकिन अब बिलासपुर एम्स लगभग बनकर तैयार है. 


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750 बेड का है अत्याधुनिक अस्पताल
इसके क्षेत्रफल की बात करें तो यह लगभग 247 एकड़ भूमि पर बन रहा है. यह 750 बेड का अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल है. यहां 15 से 20 सुपर स्पेशियलिटी विभाग होंगे. यहां पर ओपीडी की सेवाएं शुरू हो चुकी है.


कम दाम में मिलेगा बेहतर इलाज
बिलासपुर में बना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एक हॉस्पिटल और एजुकेशन इंस्टीट्यूट है. इसमें मरीजों को हर बीमारी से जुड़ी अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. यहां लोगों को निजी हॉस्पिटल की अपेक्षा कम दाम में बेहतर इलाज मिलेगा.


पिछले साल दिसंबर से ओपीडी के माध्यम से 9 स्पेशियलिटी और 9 ही सुपर स्पेशियलिटी विभाग शुरू किए गए थे. इनमें जनरल मेडिसिन, सर्जरी, पिडयाट्रिक, ऑर्थोपेडिक्स, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, न्यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड जैसे कई विभाग शामिल हैं.


एजुकेशन की बात की जाए तो बिलासपुर एम्स ने अपना पहला सेशन 12 जनवरी 2021 से शुरू किया था, जिसके अंतर्गत 50 छात्रों ने एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था.


एम्स में हैं कुल 89 फैकेल्टी
एम्स में कुल 89 फैकेल्टी हैं, जिनमें 10 सीनियर रेजिडेंट और 15 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर हैं. इनके अलावा 12 सीनियर रेजिडेंट और 25 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की नियुक्ति हो चुकी है, जो सितंबर के पहले सप्ताह से काम शुरू करेंगे, यानी प्रधानमंत्री के सितंबर में उद्घाटन से पहले लगभग सभी विभाग काम करते रहेंगे.


इस साल के अंत में राज्य में होने वाले चुनाव से पहले बिलासपुर में बना इस एम्स को राज्य सरकार उपलब्धि की तरह पेश करेगी. साथ ही सरकार का फोकस इस बात पर होगा कि प्रधानमंत्री ने जन स्वास्थ्य कल्याण योजनाओं की जो शुरुआत की थी, एम्स उसका ही एक उदाहरण है.


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