नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौत की घटनाओं पर गंभीर रुख अपनाया है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा.  यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया. 


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न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि सीवर सफाई के दौरान स्थायी दिव्यांगता का शिकार होने वालों को 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा. यह भुगतान न्यूनतम मुआवजे के रूप में होगा. 


न्यायालय के निर्देश
-न्यायालय ने कई निर्देश जारी किए, जिन्हें पढ़ा नहीं गया. 
-पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों 
-उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए. 


क्या कहा पीठ ने
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य दिव्यांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख का भुगतान करना होगा. पीठ ने कहा, “केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए.”  


जुलाई 2022 में लोकसभा में उद्धृत आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं.

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