क्या हॉटलाइन से पिघलेगी भारत-चीन के बीच बर्फ, विदेश मंत्री ने चीनी समकक्ष से क्या बात की?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अपने चीन में अपने समकक्ष वांग यी के साथ गुरुवार को बात की. 75 मिनट तक हुई इस बातचीत में क्या खास रहा इसे लेकर विदेश मंत्रालय शुक्रवार को बयान जारी किया है.
नई दिल्लीः बीते आठ महीने से भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव में कुछ कमी होने की गुंजाइश दिखने लगी है. हालांकि ये गुंजाइश बीते सप्ताह ही लगने लगी थी जब दोनों देशों ने सीमा से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमति जताई थी. भारत और चीन दोनों ने ही पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों को पीछे हटा लिया है.
75 मिनट की बातचीत में क्या रहा खास?
गतिरोध को पूरी तरह खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत जारी है. इसी सिलसिले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अपने चीन में अपने समकक्ष वांग यी के साथ गुरुवार को बात की. 75 मिनट तक हुई इस बातचीत में क्या खास रहा इसे लेकर विदेश मंत्रालय शुक्रवार को बयान जारी किया है.
इसके मुताबिक, चीन से कहा गया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पिछले साल से गंभीर असर पड़ा है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा संबंधी सवालों को सुलझाने में समय लग सकता है लेकिन हिंसा होने, और शांति तथा सौहार्द बिगड़ने से संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा.’’ इसके साथ ही दोनों मंत्री लगातार संपर्क में रहने और एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए.
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सीमा मुद्दों को उचित तरीके से निपटाना जरूरी
दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात और भारत-चीन के बीच समग्र संबंधों को लेकर चर्चा की. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा देर रात जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि चीन और भारत को आपसी भरोसे के सही मार्ग का कड़ाई से पालन करना चाहिए और दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए.
स्टेट काउंसलर का भी पद संभाल रहे वांग ने कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर रखने के लिए सीमा मुद्दों को उचित तरीके से निपटाना चाहिए.
सितंबर 2020 में मॉस्को में हुई थी बैठक
इस बातचीत में विदेश मंत्री ने मॉस्को में सितंबर 2020 में अपनी बैठक का भी हवाला दिया. तब भारतीय पक्ष ने इस मुद्दे पर चिंता जताई थी कि चीनी पक्ष मौजूदा स्थिति को बदलने की एक तरफा कोशिश कर रहा है साथ ही लगातार इसके लिए उकसा भी रहा है.
जयशंकर ने कहा कि पिछले साल मॉस्को में बैठक के दौरान उनके बीच सहमति बनी थी कि सीमाई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति दोनों देशों के लिए ठीक नहीं है. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहने, सैनिकों को पीछे हटाने और तनाव घटाने के लिए सार्थक कोशिश के लिए भी सहमति बनी थी.
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पैंगोंग झील से पीछे हटे सैनिक
विदेश मंत्री ने कहा कि उसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार संपर्क कायम रहा. इसका नतीजा हुआ कि इस महीने पैंगोंग झील वाले इलाके में तैनात सैनिकों को पीछे हटाया गया. इसका विवरण देते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में LAC पर बाकी मुद्दों को भी सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
दोनों पक्षों से हो सकती है पूर्ण वापसी
सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों के बीच 10 वें दौर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया. जयशंकर ने वांग से कहा कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं.
विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक वांग ने अब तक हुई प्रगति पर संतोष जताया और कहा कि सीमाई क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बहाली की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है.
वांग ने सीमाई क्षेत्रों में प्रबंधन और नियंत्रण भी बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया वहीं जयशंकर ने भी इस पर जोर दिया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए सीमाई क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने पर सहमत रहे हैं. वांग ने कहा कि भारतीय पक्ष ने संबंधों के लिए ‘आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हितों’ को ध्यान में रखने का प्रस्ताव दिया.
पांच मई को शुरू हुआ था गतिरोध
चीनी विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि सीमा पर विवाद एक हकीकत है और इस पर समुचित ध्यान दिए जाने और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. हालांकि, सीमा विवाद भारत-चीन के समूचे रिश्तों को बयां नहीं करता है. भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी.
इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए. झड़प के आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए थे.
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