नई दिल्ली: देश हित में मोदी सरकार ने एक नई मुहिम का आगाज किया है. जिसके बाद जम्मू कश्मीर के मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिशें हमेशा के लिए ठप पड़ जाएंगी और जम्मू कश्मीर के मामले को हमेशा के लिए भारत का आंतरिक मामला मान लिया जाएगा. 


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भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक मुहिम शुरु की


भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भारत ने ‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ के ‘पुराने पड़ चुके विषय’ के तहत जम्मू कश्मीर के मुद्दे को सुरक्षा परिषद के एजेंडे से हमेशा के लिए हटाने का आह्वान किया है. इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए उसे आतंक का पालक करार दिया. भारत ने एक बयान जारी कर कहा कि इस तर्कहीन मुद्दे पर दुनिया को कोई रुचि नहीं है. 


पाकिस्तान की इंटरनेशनल ब्रांडिंग आतंकवाद
पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भारत ने कहा कि यहां एक ऐसा प्रतिनिधिमंडल है जो अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देने वाले के रूप में अपनी फिर से ब्रांडिंग करने की बार-बार कोशिश करता है लेकिन दुर्भाग्य से वह यह नहीं समझ पाता है कि दुनिया में यह अंतरराष्ट्रीय आतंक के मूलस्रोत और आतंकी सिंडिकट के केंद्र रूप में जाना जाता है.


कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की हर कोशिश होगी नाकाम
भारत ने ‘2019 के लिए सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट’ पर कहा, 'यह प्रतिनिधिमंडल परिषद में पुराने पड़ चुके विषय पर चर्चा पर जोर देता रहता है जिसे परिषद के एजेंडे से हमेशा हमेशा के लिए हटाने की जरूरत है.' संयुक्त राष्ट्र में भारत सरकार का ये स्टैण्ड इसिलए अहम है क्योंकि आजादी के बाद कश्मीर पर पाकिस्तान के हमले के बाद भारत खुद ही इस मसले को लेकर संयुक्त राष्ट्र में गया था. जिसकी वजह से पाकिस्तान अब तक इस मामले के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश करता रहता है. इसे देखते हुए भारत ने इस मामले में पाकिस्तान के अवैध दावों को जड़ से खत्म करनेका फैसला किया है. 



सुरक्षा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पर पूर्ण अधिवेशन की अनौपचारिक बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा था कि सुरक्षा परिषद जम्मू कश्मीर की स्थिति पर अपने ही प्रस्तावों और निर्णयों को लागू करवाने में नाकाम रहा है. पाकिस्तानी दूत ने हवाला दिया था कि परिषद ने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर गौर करने के लिए पिछले एक साल में तीन बार बैठक की है.


1965 के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मामला उठने नहीं दिया
‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ विषय छह जनवरी, 1948 को एक औपचारिक बैठक में सुरक्षा परिषद में पहली बार उठा था तथा बाद में पांच नवंबर, 1965 को आखिरी बार इस पर विचार किया गया था. जिसके बाद भारत ने अपने कूटनीतिक प्रयासों से कभी भी खुले रुप में कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में उठने नहीं दिया. हालांकि चीन और पाकिस्तान की कोशिशें लगातार जारी रहीं.  चीन के सहयोग से पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा कराने का प्रयास करता रहा है. पिछले साल 16 अगस्त को परिषद ने बंद कमरे में इस पर चर्चा की थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था.


भारत ने अब कश्मीर पर चीन और पाकिस्तान के गलत एजेन्डे को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए कमर कस ली है. 


(इनपुट-भाषा )


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