नई दिल्ली: भारत और अमेरिका की साझेदारी बीते कुछ सालों में काफी बढ़ी हैं. लेकिन क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं कि जब अमेरिका में चुनाव का माहौल चरम पर है, राष्ट्रपति ट्रंप प्रचार में दिन-रात एक किए हुए हैं. ऐसे में उनके दो अहम सिपहसालार अगले हफ्ते भारत में होंगे. आखिर क्या ख़ास होने वाला है इस टू प्लस टू की मीटिंग में?


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चीन की जिनपिंग सरकार जिस तरह से कोरोना महामारी के बीच भारत के साथ तनाव आगे बढ़ रही है, उस पर दुनिया का हर शक्तिशाली देश नाराज़ है और भारत का अहम साझीदार अमेरिका तो चीन के खिलाफ़ भारत को रणनीतिक तौर पर मज़बूत करने के लिए हर संभव मदद को तैयार है.


इस दिशा में सबसे अहम पहल है भारत के साथ मिसाइल और ड्रोन की बेहतर सटीकता के लिए सैटेलाइट डेटा साझा करना. क्योंकि इससे भारत,...चीन की अत्याधुनिक मिसाइलों और ड्रोन हमलों को वक्त रहते ना सिर्फ नाकाम कर सकेगा बल्कि भारत की अटैक करने की ताक़त भी काफी बढ़ जाएगी. अमेरिका के साथ भारत का ये अहम समझौता नई दिल्ली में होने की उम्मीद है.



ड्रैगन को मिलेगा करारा जवाब


दरअसल अमेरिकी कंपनियों ने 2007 के बाद से भारत को 21 बिलियन डॉलर से ज्यादा के हथियार बेचे हैं. अब वाशिंगटन चाहता है कि भारत सरकार उच्चस्तरीय सैन्य उपकरणों के बेहतर उपयोग के लिए संवेदनशील जानकारी और एन्क्रिप्टेड संचार डेटा को साझा करने के समझौतों पर दस्तखत करे. बताया जा रहा है कि इन डाटा के ज़रिए जल थल नभ हर क्षेत्र में भारत की सैन्य ताक़त कई गुना बढ़ जाएगी.


इस बात की अहमियत का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी है, 3 नवंबर को चुनाव का आखिरी दिन है. ट्रंप दिन-रात कैंपेन में लगे हुए हैं, पर इस दरम्यान ट्रंप के दो अहम सिपहसालार अगले हफ्ते भारत का दौरा करेंगे.


भारत-अमेरिका के बीच सैटेलाइट डेटा होगा साझा


अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर 26 और 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में 2 + 2 की मीटिंग में शामिल होंगे.इस वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. पहली 'टू-प्लस-टू’ वार्ता सितंबर 2018 में दिल्ली में हुई थी, जिसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सिस्टम को मंजूरी दी थी. इस वार्ता का दूसरा संस्करण और पिछला संसकरण दिसंबर 2019 में वाशिंगटन में हुआ था.


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मंत्री स्तरीय वार्ता का ये नया ढांचा, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की सोच को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया था. अब इसके ज़रिए ड्रैगन की साजिशों को मिलेगा करारा जवाब.


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