Jagdeep Dhankhar: विपक्ष के एक होने पर भी सेफ है सभापति धनखड़ की कुर्सी, फिर क्यों लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव?
No Confidence Against Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है. नंबर गेम विपक्षी खेमे के पक्ष में नहीं है, फिर भी इंडिया गठबंधन ये कदम क्यों उठा रहा है? चलिए समझते हैं...
नई दिल्ली: No Confidence Against Jagdeep Dhankhar: भारत में सियासत के अनेक रंग देखने को मिले हैं. कभी रातों रात प्रधानमंत्री तय हुए हैं, तो कभी लोगों के उठने से पहले ही अलसुबह मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं. लेकिन भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली बार उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है.पहली बार राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है. जगदीप धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हैं. INDIA गठबंधन ने धनखड़ को हटाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दे दिया है. हालांकि, इस अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना तय है. फिर भी विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी की है. विपक्षी नेता भी जानते हैं कि धनखड़ की कुर्सी नहीं जाने वाली, फिर ये अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है? चलिए जानते हैं...
उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?
संविधान के अनुच्छेद 67-A के तहत राज्यसभा में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों की सहमति यानी उनके हस्ताक्षर की जरूरत होती है. राज्यसभा में ये प्रस्ताव पहले पेश किया जाता है, यहां से पास होने के बाद यह लोकसभा में जाता है. लोकसभा में भी पारित होने पर सभापति यानी उपराष्ट्रपति को हटना पड़ता है.
विपक्ष धनखड़ को क्यों नहीं हटा पाएगा?
उपराष्ट्रपति के खिलाफ आने वाले अविश्वास प्रस्ताव को सदन से पारित कराने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है. राज्यसभा में वैसे तो 245 सदस्य होते हैं, लेकिन फिलहाल 231 ही हैं. 14 सीटें खाली हैं, जिन पर जल्द ही चुनाव होगा. अब अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए INDIA गठबंधन को राज्यसभा में 116 सांसदों की जरूरत होगी, जबकि उनके पास महज 86 सांसद हैं. NDA के पास 113 सीटें हैं. लिहाजा ये प्रस्ताव राज्यसभा में ही गिर जाएगा, लोकसभा तक भी नहीं पहुंच पाएगा.
धनखड़ के खिलाफ विपक्ष क्यों ला रहा अविश्वास प्रस्ताव?
ये विपक्षी नेता भी भली-भांति जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव से सभापति जगदीप धनखड़ की कुर्सी नहीं डगमगाने वाली. INDIA गठबंधन के नेता इस अविश्वास प्रस्ताव को सांकेतिक मान रहे हैं. INDIA के नेताओं का आरोप है कि सभापति धनखड़ अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से संसद चलाते हैं. वे विपक्ष के प्रति हार्ड और सत्ता पक्ष के प्रति सॉफ्ट नजर आते हैं.
1. बात रखने का मौका: अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चेयर पर सभापति नहीं होंगे. इसका फायदा विपक्ष उठाना चाहेगा. संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष अडानी के मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहता था, लेकिन मौका नहीं मिला. अब अविश्वास प्रस्ताव के नियमों के बहाने विपक्ष के नेता सरकार के खिलाफ अपनी बात रख सकते हैं.
2. धनखड़ को रखा जाएगा याद: देश में पहले कभी किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया. अब यदि धनखड़ के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव आता है, तो वे पहले ऐसे सभापति होंगे. भविष्य में जब भी अविश्वास प्रस्ताव आएगा, तब धनखड़ का जिक्र जरूर होगा. विपक्ष धनखड़ से नाराज है, इस तरीके से वे धनखड़ के खिलाफ अपना प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करवा सकते हैं.
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