आतंकियों को दिया पनाह तो अब खैर नहीं, इस कानून के तहत संपत्ति जब्त करेगी सरकार
आतंकियों को शरण देने वालों के खिलाफ अब जम्मू कश्मीर प्रशासन कार्रवाई करने की तैयारी पूरी कर ली है. UAPA कानून के तहत अब ऐसे संपत्ति लोगों की जब्त होगी.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu Kashmir Police) ने उन लोगों की संपत्तियां जब्त करने का फैसला किया है जो आतंकियों को जानबूझकर पनाह देने में शामिल पाए जाए गए. आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर पुलिस 'गैरकानूनी गतिविधि की रोकथाम अधिनियन' (यूएपीए) के तहत कार्रवाई करते हुए अचल संपत्तियों को जब्त करेगी.
आतंकियों को शरण देने वालों की खैर नहीं
जब्त की जा जाने वाली संपत्तियां वो होगी जहां ये साबित हो जाएगा कि घर के मालिक/सदस्य ने जानबूझकर कई दिनों तक आतंकवादियों को पनाह दी थी. ये भी साबित होना चाहिए कि ये कार्. किसी भी दबाव में नहीं किया गया था.
हालांकि, घाटी के राज्य नेताओं ने इसकी आलोचना की है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस कदम को पूरी तरह गलत बताया है. महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि 'यह पूरी तरह गलत है. यह पूरे समुदाय को दंडित करने जैसा है. अगर आपको उग्रवादियों से लड़ना है, तो उनसे लड़ें लेकिन इसके लिए स्थानीय लोगों को दंडित करने से क्या होगा.'
वहीं कश्मीर जोन के आईजी पुलिस, विजय कुमार ने कहा है कि आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस होगी और यह कदम आतंकियों को दबाने में काफी फायदा देगा.
क्या है यूएपीए कानून? समझिए
अब आपको ये भी समझना होगा कि आखिरकार यूएपीए कानून है क्या और इसे लेकर महबूबा मुफ्ती के पेट में दर्द क्यों उठने लगा. वर्ष 1967 में देश की संसद ने 'गैरकानूनी गतिविधि की रोकथाम अधिनियन' (Unlawful Activities (Prevention) Act) यानी UAPA बनाया था. हालांकि इस कानून में 4 बार (2004, 2008, 2012 और 2019 में) बदलाव किया गया.
2019 में हुए संशोधन के बाद इस कानून को लेकर बखेड़ा शुरू हो गया था. दरअसल, केंद्र सरकार ने इस कानून में कई कठोर प्रावधान जोड़ दिए. इसके तहत आरोप सिद्ध हो जाने पर दोषी को कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है. इस कानून का इस्तेमाल अभी तक कई लोगों के खिलाफ किया जा चुका है.
इस कानून के नहीं मिलती है जमानत
UAPA के सेक्शन 43D (2) के तहत दोगुना बढ़ाई जा सकती है पुलिस हिरासत
इसके तहत 30 दिन की पुलिस हिरासत और 90 दिन तक की न्यायिक हिरासत का प्रावधान
UAPA के तहत केस दर्ज होने पर आरोपी को नहीं मिल सकती है अग्रिम जमानत
सेक्शन 43डी (5) के तहत अगर प्रथमदृष्टया केस बनता है तो अदालत भी जमानत नहीं दे सकती है
इसमें दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है
'गैरकानूनी गतिविधि की रोकथाम अधिनियन' के तहत आरोपी की संपत्ति जब्त भी की जा सकती है
इन्ही प्रावधानों के तहत जम्मू कश्मीर पुलिस ने ये ठोस कदम उठाने का फैसला किया है कि जानबूझकर आतंकियों को शरण देने वालों की संपत्तियों को जब्त किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें- भारत-अमेरिका के बीच 2+2 बैठक में क्या रहा खास? जानिए बड़ी बातें
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.