नई दिल्ली: Hemant Soren News: झारखंड में हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेला है. हेमंत ने गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और राजभवन में विधायकों का समर्थन पत्र पेश कर चंपई को मुख्यमंत्री बना दिया. अब हेमंत ED के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं. लेकिन सियासी हलकों के बीच एक चर्चा बड़ी आम है कि हेमंत सोरेन लौट आए तो क्या होगा? क्या हेमंत सोरेन फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे? इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है, जब किसी ने अपने बदले दूसरे को CM बनाया और जब वापस कुर्सी पर बैठने की बारी आई तो सामने वाले ने कुर्सी खाली नहीं की. 


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उमा भारती और बाबूलाल गौर
2003 में मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव हुआ. उमा भारती के नेतृत्व में BJP 10 साल बाद सत्ता में लौटी. पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन साल 2004 में उमा भारती के नाम कर्नाटक की हुबली कोर्ट ने 10 साल पुराने मामले में वॉरंट जारी कर दिया. आलाकमान के कहने पर उमा ने इस्तीफा दे दिया. लेकिन अपने करीबी बाबूलाल गौड़ को CM बनवा दिया. गौड़ को CM पद देने से पहले उमा ने उनके हाथ में गंगाजल दिया और यह कसम खिलवाई कि जब वो कहेंगी, गौड़ कुर्सी छोड़ देंगे. लेकिन गौड़ ने तो आते ही मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया और उमा के करीबी मंत्रियों को पद से हटा दिया. उमा भारती को फिर कभी CM की कुर्सी नसीब नहीं हुई. 


नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी 
साल 2013 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार NDA से अलग हो गए थे. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में JDU बुरी तरह हार गई और नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए CM पद इस्तीफा दे दिया. नीतीश ने अपने विश्वासपात्र जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. सबने मांझी को 'रिमोट कंट्रोल सीएम' समझा. लेकिन मांझी ने स्वतंत्र रूप से फैसले लिए. उन्होंने नीतीश का कहा मानने से इनकार कर दिया. फिर नीतीश ने मांझी को इस्तीफा देने के लिए कहा, ताकि वो खुद CM बन सकें. लेकिन मांझी मुकर गए. मजबूरन नीतीश को जीतनराम मांझी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा. 


हेमंत ने सीख ली, लेकिन अमल नहीं कर पाए
हेमंत सोरेन ने उमा भारती और नीतीश कुमार के साथ घटे वाकये से सीख तो ली, लेकिन अमल नहीं कर पाए. हेमंत घर में ही सत्ता चाहते थे, इस कारण से उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को CM बनाना चाहा. इसके लिए उन्होंने विधायकों से भी चर्चा की. लेकिन हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ही इस फैसले से नाराज हो गईं. लिहाजा, पारिवारिक कलह से बचने के लिए उन्होंने चंपई सोरेन को CM बना दिया है. 


फिर से CM बनने के लिए हेमंत को क्या करना होगा?
यदि हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहेंगे तो उन्हें कम से कम 41 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. फिलहाल की परिस्थिति में JMM के पास 47 विधायकों का समर्थन बताया जा रहा है. यदि कल को चंपई हेमंत के लिए इस्तीफा नहीं भी देते हैं तो भी हेमंत के पास विधायकों का समर्थन रहेगा और वो CM बन पाने की स्थिति में हो सकते हैं. हालांकि, चंपई सोरेन हेमंत के काफी करीबी माने जाते हैं. हेमंत के पिता शिबू सोरेन के भी सहयोगी रहे हैं, इसी कारण से हेमंत सार्वजनिक मंचों पर भी चंपई के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.


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