कांवड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद, विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं महुआ मोइत्रा, JDU ने भी जताई असहमति
तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने याचिका में यूपी-उत्तराखंड की सरकारों के आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं.
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा में दुकानदारों को नाम प्रदर्शित करने का निर्देश तूल पकड़ता जा रहा है. अब तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दरअसल इस आदेश में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे.
महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में यूपी और उत्तराखंड की राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं. हालांकि इस याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना बाकी है. याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार और उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी ने भी जताई असहमति
बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी इस फैसले से असहमति जाहिर की है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि यह फैसला बिल्कुल सही नहीं है. इसमें कुछ न कुछ बदलाव लाना चाहिए. बिहार में नीतीश कुमार सरकार पिछले 18 साल से कांवड़ियों के लिए लगातार काम कर रही है, ताकि उनको रास्ते में कोई समस्या नहीं हो. कांवड़ियों की यात्रा तपस्या की तरह है.
राजीव ने कहा-कांवड़ियों के लिए किसी भी समुदाय, जाति के लोग मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं, ताकि उन्हें भी महादेव का आशीर्वाद मिल जाए. यूपी सरकार ने जो परंपरा शुरू की है, उससे दो समुदाय और जाति के बीच भी भेदभाव होगा.
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