वक्फ संशोधन एक्ट पर `कांग्रेसी सरकार` ने किया विरोध, मुरीद हुआ पर्सनल लॉ बोर्ड
बोर्ड ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस संशोधन के साथ कानून को पारित करती है, तो यह देश के मुसलमानों के साथ एक बड़ा धोखा होगा.
बेंगलुरु. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की और केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध करने के लिए उनका आभार जताया. बोर्ड ने सीएम सिद्धारमैया से अनुरोध किया कि कर्नाटक सरकार तेलंगाना की तर्ज पर इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे.
बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस संशोधन के साथ कानून को पारित करती है, तो यह देश के मुसलमानों के साथ एक बड़ा धोखा होगा. रहीम ने स्पष्ट किया कि संशोधित कानून में जमीन से संबंधित विवादों का निर्णय कलेक्टर को देने से मुसलमानों को काफी नुकसान होगा, क्योंकि कलेक्टर अक्सर सरकार के पक्ष में फैसले लेते हैं. यह स्थिति वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.
'गैर-मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देना भी असंवैधानिक'
मौलाना रहीम ने बोर्ड में गैर-मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने के प्रस्ताव को भी असंवैधानिक बताया. उनका कहना था कि इस प्रस्ताव से वक्फ की संवैधानिक स्थिति और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है. बोर्ड को विपक्षी दलों का समर्थन मिल रहा है और वे जल्द ही तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे.
'वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण'
मौलाना फजलुर रहीम ने वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण की चिंता भी जताई. बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए कि वक्फ की जमीन के साथ कोई धोखाधड़ी न हो. इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके.
दरअसल शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विस्तार से विचार-विमर्श के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की दूसरी बैठक में बिल को लेकर बीजेपी और विपक्षी सांसदों के बीच जोरदार बहस हुई. विपक्षी सांसद थोड़ी देर के लिए बैठक से वॉकआउट भी कर गए. विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए बैठक में आमंत्रित मुस्लिम संगठनों ने बिल का विरोध किया. जेपीसी की अगली बैठक 5 और 6 सितंबर को होगी.
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