नई दिल्ली: दिल्ली की सरहदों पर किसान आंदोलन के 12 हफ्ते पूरे हो रहे हैं, इन तीन महीनों में दिल्लीवालों ने जो मुसीबत झेली और देश ने जो साजिश देखी, उसका अब पर्दाफाश हो चुका है. इस बीच प्रदर्शनकारियों का एक और चेहरा सामने आया है.


भीड़ कम हुई तो बौखला गए आंदोलनजीवी


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किसान आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों का उत्पात दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. प्रदर्शनकारियों की संख्या दिन पर दिन कम होता जा रहा है, जिसे देखकर आंदोलनजीवी बौखला गए हैं. उन्होंने किसानों को रोकने के लिए पैंतरा अपनाया है.


खुद को किसान नेता बताने वाले आंदोलनजीवियों को डर सताने लगा कि ऐसे भीड़ कम होने लगी तो उनकी दुकानदारी तो बंद हो जाएगी, आंदोलन खत्म हो जाएगा. इसी को देखते हुए उन्होंने बिजली चोरी करने का फैसला लिया होगा.


सड़कों को बर्बाद कर रहे हैं प्रदर्शनकारी


दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर डटे प्रदर्शनकारी बिजली की चोरी कर रहे हैं. बिजली चुराकर हीटर, वॉशिंग मशीन और टीवी जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इतना ही नहीं सड़कों पर गड्ढे खोदे जा रहे हैं.


नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्रदर्शनकारियों पर ये आरोप लगाया है कि निर्माणाधीन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. अथॉरिटी ने ये मांग की है कि यूपी सरकार से रोड खाली कराए.


किसान आंदोलन है या टूरिस्ट प्लेस?


खुद को किसान नेता बताने वाले करोड़पति आंदोलनजीवी और प्रदर्शन के ठेकेदार राकेश टिकैत ने कहा था कि इस आंदोलन में AC भी लगवाया जाएगा. तो क्या ये सारी करतूतें टिकैत के इशारों पर अंजाम दी जा रही हैं?


नीचे दी गई तस्वीर को देखिए, किसानों ने अब अपने कैंप में पक्की टॉयलेट की व्यवस्था कर ली है. वॉशरूम में गीजर भी लगवाए गए हैं. ये आंदोलन है या टूर?



अब जरा नीचे दी गई दूसरी तस्वीर देखिए, प्रदर्शनकारी जगह-जगह टॉयलेट बनाने के लिए गड्‌ढे खोद रहे हैं. पानी की निकासी के लिए भी व्यवस्था की जा रही है. ये आंदोलन है या टूर?



चलिए एक और तस्वीर देख लीजिए, किसानों ने अपने कैंप में घर जैसी सुविधाएं कर ली हैं. इनमें CCTV टीवी भी लगाए गए हैं जिसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. ये आंदोलन है या टूर?



एक और तस्वीर देखिए, टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने हरी घास का लॉन बनवाया है. यहां अलग-अलग फूलों के गमले भी लगाए गए हैं. ये आंदोलन है या टूर?



क्या ये आंदोलन सचमुच किसानों का ही आंदोलन है? किसान के नाम पर प्रदर्शनकारी सड़कों पर धनिया बो रहे हैं. मतलब हद हो गई है. गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर सभी जगहों पर आंदोलन के नाम पर मजा लूटा जा रहा है.


प्रदर्शन में शामिल क्या ये किसान ही हैं?


दिल्ली के बॉर्डर पर जमा हुए किसान अपने घरों को लौटने लगे हैं. दिल्ली के बॉर्डर को बंधक बनाकर बैठे हैं, लेकिन धरनास्थल पर सन्नाटा है. गाजीपुर, सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर सन्नाटा पसरा है. क्योंकि असली किसान अपने घर लौटने लगे हैं.


गेहूं कटाई का सीजन आ रहा है, असली किसानों को फसल अपनी जिंदगी से ज्यादा प्यारी होती है. खेतों में काम करने वाले किसानों को बरगलाने वाले आंदोलनजीवियों की दुकान बंद होने वाली है, क्योंकि उनकी सारी सच्चाई सबके सामने आ रही है.


किसानों के तंबू में हो रही है चोरी


अब तो प्रदर्शनकारियों के तंबू में चोरी भी होने लगी है. मोबाइल की चोरी हो रही है, तो वहीं ट्रैक्टरों की बैटरी की भी चोरी हो रही है. उधर बिजली की भी चोरी हो रही है. अब आखिर चोर कौन है?


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इंटरनेशनल लेवल की पहचान पा चुके किसान आंदोलन की चमक फीकी पड़ रही है. दिल्ली के कुछ बॉर्डर पर किसानों की संख्या में लगातार कम हो रही है. बिजली की चोरी और सड़कों पर गड्ढा खोदने वाले क्या किसान हैं?


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