नई दिल्लीः अति भव्य नए संसद भवन की दीवारों और गलियारों में प्रदर्शित कलाकृतियां, वैदिक काल से लेकर आज तक भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की कहानियां बयां करती हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नये संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया. देश में लोकतंत्र के विकास को नए संसद भवन के ‘कांस्टीटयूशन हॉल’ में प्रदर्शनियों की एक श्रृंखला के माध्यम से दर्शाया गया है. 


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जानिए क्या है खास
‘कांस्टीटयूशन हॉल’, जिसमें भारतीय संविधान की एक डिजिटल प्रति है, में आधुनिकता का स्पर्श है क्योंकि इसमें पृथ्वी के घूर्णन को प्रदर्शित करने के लिए ‘फौकॉल्ट पेंडुलम’ भी है. मोदी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र केवल भारत में प्रचलित व्यवस्था नहीं है बल्कि यह एक संस्कृति, विचार और परंपरा है. हमारे वेद हमें सभा और समिति के लोकतांत्रिक आदर्शों की शिक्षा देते हैं. हमें महाभारत में गणतंत्र का वर्णन मिलता है.’’ ‘फौकॉल्ट पेंडुलम’ संविधान हॉल की त्रिकोणीय छत से एक बड़े रोशनदान से लटका हुआ है और ब्रह्मांड के साथ भारत के विचार को दर्शाता है.


प्रभावशाली विधायी कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा कक्ष में एक डिजिटल मतदान प्रणाली और अत्याधुनिक ‘ऑडियो-विजुअल’ प्रणाली की व्यवस्था की गई है. इस भवन में तीन औपचारिक अग्रदीर्घा हैं जहां महात्मा गांधी, चाणक्य, गार्गी, सरदार वल्लभभाई पटेल, बी. आर. आंबेडकर और कोणार्क के सूर्य मंदिर के रथ के पहिये की विशाल पीतल की मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं. 


संगीत गैलरी भी है खास
सार्वजनिक प्रवेश द्वार तीन दीर्घाओं की ओर जाते हैं. संगीत गैलरी जो भारत के नृत्य, गीत और संगीत परंपराओं को प्रदर्शित करती है; स्थापत्य गैलरी देश की स्थापत्य विरासत को दर्शाती है और शिल्प गैलरी विभिन्न राज्यों की विशिष्ट हस्तकला परंपराओं को प्रदर्शित करती है. नये संसद भवन में लगभग 5,000 कलाकृतियां है, जिनमें पेंटिंग, पत्थर की मूर्तियां और धातु चित्र शामिल हैं. लोकसभा कक्ष का आंतरिक भाग राष्ट्रीय पक्षी मोर के विषय पर आधारित हैं, जबकि राज्यसभा के कक्ष में राष्ट्रीय फूल ‘कमल’ को दर्शाया गया है. 


अधिकारियों के अनुसार उस्ताद अमजद अली खान, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर सहित प्रख्यात संगीतकारों और उनके परिवार के सदस्यों ने संगीत गैलरी के लिए अपने वाद्य यंत्र दान किए हैं. चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्गमीटर है और इसमें दो कक्ष हैं - 888 सीट वाली लोकसभा, जिसमें दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए 1,272 सदस्य शामिल हो सकते हैं और 384 सीट वाला राज्यसभा कक्ष है. संसद भवन में बरगद का एक पेड़ भी है.


92 कमरे इस तरह से हैं खास
 नए भवन में छह नये समिति कक्ष और मंत्रिपरिषद के कार्यालयों के रूप में उपयोग के लिए 92 कमरे भी हैं. नये भवन के लिए प्रयुक्त सामग्री देश के विभिन्न भागों से लाई गई है. नये संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया. 


इन राज्यों से आईं खास चीजें
लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था. इमारत पर लगी पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थीं. अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था. 


पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था. नये संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया था. ‘एम रेत’ कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर निर्मित किया जाता है जो नदी की रेत से अलग होता है. निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लाये गये. 


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