नई दिल्ली: चीन के सामानों के बहिष्कार की मुहिम अपना असर दिखा रही है. भारतीय बाजारों में चीन का सामान मौजूद तो है, लेकिन उसके खरीदार लगातार कम हो रहे हैं क्योंकि लोग भी अब चीन की साजिश को समझ गए हैं.


भारतीय बाजारों में चलता है चीन का सिक्का!


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दो सामानों के मामले में पूरी नें आज भी चीन का कोई मजबूत विकल्प नहीं है. पहला है खिलौने और दूसरा इलेक्ट्रिकल आइटम्स है. इन दोनों सामानों के मामले में भारतीय बाजारों में भी चीन का सिक्का चलता था लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.


Made In China को झटका देने की तैयारी


भारत सरकार ने चीन को एक और झटका देने का मन बना लिया है, जिसके लिए तैयारियां तेज हो गई हैं. अब हिन्दुस्तान के खिलौना बाजार पर चीन का कब्जा खत्म होने वाला है, इस वर्चस्व का समाप्त होना चीन के लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी खिलौना उत्पादन पर कई वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ की बैठक की.



भारतीय खिलौना बाजार में चीन की हिस्सेदारी अभी तक 90 फीसदी के आस पास थी और इसके पीछे कारण सस्ते और बच्चों को आकर्षित करने वाले खिलौने थे, लेकिन अब भारतीय कंपनियों ने लोगों के बदलती भावनाओं को देखते हुए स्वदेशी खिलौनों का प्रोडक्शन बढ़ा दिया है.


इलेक्ट्रिकल बाजारों में भी चीन का कब्जा


खिलौनों की तरह भारतीय बाजारों से चीन के इलेक्ट्रिकल आइटम्स को अचानक बाहर कर देना आसान नहीं है. बिजली के एक छोटे से सॉर्किट से लेकर चमचमाती Fancy लाइट तक सबकुछ चीन से आता है. चीन ने भारतीय बाजारों में बड़ी ही चालाकी से सस्ते और घटिया माल को पहुंचा दिया.


बाजार में मौजूद लगभग हर सामान में लगा कोई न कोई ना कोई पार्ट चीन में बना हुआ होता है, लेकिन अब 100 प्रतिशत मेड इन इंडिया सामानों को लेकर खरीदार भी जागरुक हो रहे हैं.


भारत के हर प्रोडेक्ट में कोई न कोई छोटा से छोटा पार्ट  ऐसा ज़रूर होता है जो सिर्फ चीन में बनता है. सरकार को अब ऐसे निवेशकों कौ तैयार करना होगा जो किसी भी Product में इस्तेमाल होने वाली हर चीज तो भारत में ही तैयार करे. यानी भारत को एक ऐसा इको सिस्टम बनाना होगा जिसमें चीन के लिए कोई जगह ना हो.


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