शी जिनपिंग को चीन का राष्ट्रपति कहने पर अमेरिका को ऐतराज, जताई ये आपत्ति

चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है. कोरोना वायरस से लेकर दक्षिण चीन सागर तक कई मुद्दों पर दोनों देशों में भारी मतभेद हैं. अब अमेरिका ने चीन को चुभाने वाला एक नया तर्क सामने रखा है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 23, 2020, 01:13 PM IST
    • शी जिनपिंग के लिए राष्ट्रपति शब्द का उपयोग नहीं
    • लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रपति नहीं बने हैं जिनपिंग
शी जिनपिंग को चीन का राष्ट्रपति कहने पर अमेरिका को ऐतराज, जताई ये आपत्ति

नई दिल्ली: अमेरिका चीन पर आक्रामक रहकर उसे करार सबक सिखाने की योजना पर काम कर रहा है. अमेरिका की ओर से ये कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग काम नहीं कर रहे हैं और अमेरिका उन्हें चीन का राष्ट्रपति नहीं मानता है. शत्रु अधिनियम के तहत शी जिनपिंग को जल्द ही अमेरिकी सरकार के किसी भी दस्तावेज में चीन का राष्ट्रपति नहीं कहा जाएगा. इसके लिए अमेरिका में एक विधेयक भी पास किया जाएगा.

शी जिनपिंग के लिए राष्ट्रपति शब्द का उपयोग  नहीं

आपको बता दें कि वाशिंगटन में सांसदों ने संघीय सरकार द्वारा चीन के शीर्ष नेता को संदर्भित करने के तरीके को बदलने के लिए विधेयक पेश किया, जिसमें राष्ट्रपति शब्द के उपयोग पर रोक की बात कही गई है. अमेरिका के इन सांसदों का कहना है कि शी जिनपिंग एक तानाशाही सरकार के प्रतिनिधि हैं और उन्हें जनता ने नहीं चुना है. राष्ट्रपति कहलाने का अधिकार केवल उस नेता को होना चाहिए जो लोकतांत्रिक तरीके से जनता द्वारा चुना गया है.

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विधेयक पेश करने वाले सांसदों ने विधेयक में तर्क दिया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में भूमिका के अनुसार चीन के शीर्ष नेता को संदर्भित किया जाना चाहिए. मौजूदा समय में चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग तीन आधिकारिक उपाधि रखते हैं, जिनमें से कोई भी राष्ट्रपति नहीं है.

लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रपति नहीं बने हैं जिनपिंग

अमेरिकी सांसदों का कहना है कि चीन के शीर्ष नेता को राष्ट्रपति के रूप में संबोधित करने से यह धारणा बनती है कि देश के लोगों ने उन्हें लोकतांत्रिक माध्यम से चुना है. शी जिनपिंग जनता द्वारा लोकतांत्रिक माध्यम से राष्ट्रपति नहीं चुने गए हैं. जिनपिंग को राष्ट्रपति कहना लोकतंत्र का अपमान है. वे एक तानाशाही सरकार के शीर्ष नेता हैं.  यह धारणा गलत है और इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना जा सकता. अधिनियम को रिपब्लिकन पार्टी के सांसद स्कॉट पेरी ने पेश किया था.

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