नई दिल्ली: Manipur UNLF Group: मणिपुर के सबसे पुराने उग्रवादी समूह ने हथियार छोड़ दिए हैं. मणिपुर के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि मणिपुर के सबसे पुराने उग्रवादी समूह UNLF ने केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.


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क्या बोले अमित शाह?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है. यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं.'


शाह ने क्या लिखा?
गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा कई अन्य चरमपंथी संगठनों के साथ यूएनएलएफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ दिनों बाद यह शांति समझौता हुआ है। ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस और नागरिकों पर हमलों और हत्याओं के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।


UNLF कब बना, क्या उद्देश्य?
उग्रवादी संगठन UNLF 24 नवंबर, 1964 में बना था. इसे समरेंद्र सिंह के नेतृत्व में स्थापित किया था. UNLF मणिपुर में सबसे पुराना मैतेई विद्रोही समूह है. 70-80 के दशक में इस संगठन ने बड़े स्तर पर भर्तियां की. 1990 में UNLF ने मणिपुर को भारत से अलग करने का फैसला किया था. इसी साल UNLF ने मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) नामक विंग बनाई. 


इसी महीने लगा था प्रतिबंध
मणिपुर में इस साल नवंबर महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई संगठनों पर प्रतिबंध लगाए थे. सरकार ने कई मैतेई चरमपंथी संगठनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया. गौरतलब है कि मणिपुर में हो रही हिंसा में 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.


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