देश के इस राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का प्रकोप, 33 हजार+ सूअरों की मौत
ASF की पहली रिपोर्ट 2021 में मिजोरम की सीमा पर दर्ज की गई थी, जब AHV विभाग के अधिकारियों के अनुसार, संक्रामक बीमारी के कारण 33,420 सूअर और पिगलेट की मौत हो गई थी.
आइजोल. मिजोरम में पिछले सात महीनों से अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) का प्रकोप जारी है. अधिकारियों ने बताया कि इसके कारण 33,000 से अधिक सूअरों की मौत हुई है, जिसमें से कुछ की मौत बीमारी से तो कुछ को मारा गया है. मिजोरम पशुपालन और पशु चिकित्सा (AHV) विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ASF के प्रकोप के कारण राज्य भर में बड़ी संख्या में किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में ASF से पीड़ित होने और मारने के कारण सूअरों की मौत का अनुपात कम हुआ है, लेकिन कई जिलों में संक्रामक रोग का प्रकोप जारी है.
अनौपचारिक अनुमानों के अनुसार, पहाड़ी सीमावर्ती राज्य के 11 जिलों में से छह में सूअर पालकों को इस साल फरवरी से इस संक्रामक रोग के प्रकोप के कारण 23-25 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है. ASF, जो इंसानों को प्रभावित नहीं करता है, सूअरों के बीच एक अत्यधिक संक्रामक रोग है और बहुत अधिक मौत होने के साथ एक गंभीर खतरा पैदा करता है.
AHV अधिकारियों ने बताया कि 2021 से एएसएफ प्रकोप ने किसानों और सरकारी फर्मों को भारी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि इस साल का पहला ASF मामला 9 फरवरी को चंफाई जिले के लीथुम गांव में दर्ज किया गया था, जो म्यांमार के साथ बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है. उन्होंने बताया, आइजोल, चंफाई, लुंगलेई, सैतुअल, ख्वाजावल और सेरछिप के 180 से अधिक गांवों में सरकारी और निजी फर्मों और घरों में सूअर अब तक ASF प्रकोप से संक्रमित हो चुके हैं.
ASF की पहली रिपोर्ट 2021 में मिजोरम की सीमा पर दर्ज की गई थी, जब AHV विभाग के अधिकारियों के अनुसार, संक्रामक बीमारी के कारण 33,420 सूअर और पिगलेट की मौत हो गई थी, जबकि 2022 में 12,800 सूअर और पिगलेट की मौत हो गई और 2023 में 1,040 की मौत हो गई. मिजोरम में ASF का पहला मामला मार्च 2021 के मध्य में बांग्लादेश की सीमा पर लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव से रिपोर्ट किया गया था और तब से, यह बीमारी हर साल पनपती रही है. मिजोरम के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री सी लालसाविवुंगा ने हाल ही में राज्य विधानसभा में कहा कि 2020 में राज्य में एएसएफ के प्रकोप के बाद राज्य के सुअर पालकों को लगभग 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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